नई भोर हुई – सुशी सक्सेना
. नई भोर हुई – सुशी सक्सेना नई भोर हुई, नई किरन जगी।भूमि ईश्वर की, नई सृजन लगी। नई धूप खिली, नई आस पली,ओढ़ के सुनहरी चुनरी प्रकृति हंसी,नया नया सा आकाश है, नये नज़ारे,नववर्ष में कह दो साहिब, हम तुम्हारेसुनकर जिसे, मन में तपन लगी। नववर्ष में है, बस यही मनोकामना,दंश झेले जो हमने … Read more