दहेज दानव

दहेज सामाजिक बुराई पर आधारित कविता

नास्तिक पर कविता

नास्तिक पर कविता नास्तिक हीपैदा हुआ था मैंबाकी भीहोते हैं पैदा नास्तिक हीमानव मूल रूप मेंहोता है नास्तिक नाना प्रकार केप्रपंच करके उसेबनाया जाता है आस्तिककितना आसान है आस्तिक होनाबिना जाने मानना हैबिना तर्क किए मानना हैकिसी को नकारने के लिएचिंतन-मनन, तर्क-वितर्कअनुसंधान करना पड़ता है भले कितना ही दिखावा करेंआस्तिक होने काधर्म स्थलों के प्रभारीहोते … Read more

आनंद पर कविता

आनंद पर कविता मुझे है पूरा विश्वासनहीं है असली आनंदमठों-आश्रमों वअन्य धर्म-स्थलों में इन सब के प्रभारीलालायित हैंलोकसभा-राज्यसभाया फिर विधानसभा मेंजाने को मुझे है पूरा विश्वासअसली आनंदलोकसभा-राज्यसभाया फिर विधानसभामें ही है इसलिए हीयोगी, साध्वी वअन्य मठाधीश हैं टिकटार्थी संसद और विधानसभाओं मेंकीर्तन होने केप्रबल आसार हैं -विनोद सिल्ला©

इंसान पर कविता

इंसान पर कविता आदिकाल में मानवनहीं था क्लीन-शेवडनहीं करता था कंघीलगता होगा जटाओं मेंभयावह-असभ्यलेकिन वह थाकहीं अधिक सभ्यआज के क्लीन-शेवडफ्रैंचकट या कंघी किएइंसानों से नहीं था वहव्याभिचार में संलिप्तनहीं था वह भ्रष्टाचारीनहीं करता था कालाबाजारीमुक्त था जाति-धर्म सेमुक्त था गोत्र-विवादों सेमुक्त था फालतू केफसादों सेवह था मात्र इंसान –विनोद सिल्ला©