खुशबु-विनोद सिल्ला

खुशबु फूलों मेंहोती है खुशबुनहीं होती फूलों में हीहोती हैकुछ व्यक्तियों केव्यवहार में भीहोती हैकुछ व्यक्तियों केकिरदार में भीहोती हैकुछ व्यक्तियों केस्वभाव में भीहोती हैकुछ व्यक्तियों कीप्रवृत्ति में भीहोती हैकुछ व्यक्तियों कीवाणी में भीलेकिनउपरोक्त खुशबु के स्वामीसभी नहीं होते -विनोद सिल्ला©

दहेज दानव

दहेज सामाजिक बुराई पर आधारित कविता

नास्तिक पर कविता

नास्तिक पर कविता नास्तिक हीपैदा हुआ था मैंबाकी भीहोते हैं पैदा नास्तिक हीमानव मूल रूप मेंहोता है नास्तिक नाना प्रकार केप्रपंच करके उसेबनाया जाता है आस्तिककितना आसान है आस्तिक होनाबिना जाने मानना हैबिना तर्क किए मानना हैकिसी को नकारने के लिएचिंतन-मनन, तर्क-वितर्कअनुसंधान करना पड़ता है भले कितना ही दिखावा करेंआस्तिक होने काधर्म स्थलों के प्रभारीहोते … Read more

आनंद पर कविता

आनंद पर कविता मुझे है पूरा विश्वासनहीं है असली आनंदमठों-आश्रमों वअन्य धर्म-स्थलों में इन सब के प्रभारीलालायित हैंलोकसभा-राज्यसभाया फिर विधानसभा मेंजाने को मुझे है पूरा विश्वासअसली आनंदलोकसभा-राज्यसभाया फिर विधानसभामें ही है इसलिए हीयोगी, साध्वी वअन्य मठाधीश हैं टिकटार्थी संसद और विधानसभाओं मेंकीर्तन होने केप्रबल आसार हैं -विनोद सिल्ला©