Tag #विनोद सिल्ला

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर 0 #विनोद सिल्ला के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

मुस्कान पर कविता

मुस्कान पर कविता मुझे बाजार मेंएक आदमी मिलाजिसके चेहरे परन था कोई गिलाजो लगतारमुस्करा रहा थाबङा ही खुशनजर आ रहा थामैंने उससे पूछा किकमाल है आजजिसको भी देखोमुंह लटकाए फिरता हैतनावग्रस्त-सा दिखता हैआपकी मुस्कान काक्या राज हैमुस्करा रहे होकुछ तो…

शह-मात पर कविता-विनोद सिल्ला

शह-मात पर कविता जाने क्योंशह-मात खाते-खातेशह-मात देते-देतेकर लेते हैं लोगजीवन पूरामुझे लगासब के सबहोते हैं पैदाशह-मात के लिएनहीं हैकुछ भी अछूताशह-मात सेलगता हैशह-मात ही हैपरमो-धर्मशह-मात हैकण-कण में व्याप्तशह-मात ही हैअजर-अमर Post Views: 28

रूढ़ीवाद पर कविता

रूढ़ीवाद पर कविता उन्होंने डाली जयमालाएक-दूसरे के गले मेंहो गए एक-दूसरे केसदा के लिएप्रगतिशील लोगों नेबजाई तालियांहो गए शामिलउनकी खुशी मेंरूढ़ीवादियों नेमुंह बिचकाएनाक चढ़ाईकरते रहे कानाफूसीकरते रहे निंदाअन्तर्जातीय प्रेम-विवाह कीदेते रहे दुहाईपरम्पराओं कीदेखते ही देखतेढह गया किलासड़ी-गलीव्यवस्था का Post Views: 40

कदम-कदम पर कविता

कदम-कदम पर कविता यहां हैप्रतिस्पर्धाइंसानों मेंएक-दूसरे से।आगे निकलने कीचाहे किसी केसिर पर या गले पररखना पड़े पैर,कोई परहेज़-गुरेज नहीं ।किसी को कुचलने मेंनहीं चाहता कोईसबको साथ लेकरआगे बढ़ना।होती है टांग-खिंचाईरोका जाता हैै।आगे बढ़ने सेडाले जाते हैं अवरोध।लगाया जाता है,एड़ी-चोटी का…

रोटी पर कविता

रोटी पर कविता सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ परनहीं खाई जातीएक-दूसरे की रोटी -विनोद सिल्ला Post Views: 25

जात-पात पर दोहे

जात-पात पर दोहे जात-पात के रोग से, ग्रस्त है सारा देश|भेद-भाव ने है दला, यहाँ पर वर्ग विशेष|| जात-पात के जहर से, करके बंटा-धार|मरघट-पनघट अलग हैं, करते नहीं विचार|| जात-पात के भेद में, नित के नए प्रपंच|जात मुताबिक संगठन, जात…

आदमी का प्रतिरूप पर कविता

आदमी का प्रतिरूप पर कविता-विनोद सिल्ला आदमीनहीं रहा आदमीहो गया यन्त्र सा जिसका नियन्त्रण हैकिसी न किसीनेता के हाथकिसी मठाधीश के हाथया फिर किसीधार्मिक संस्था के हाथजिसका आचरण है नियंत्रितउपरोक्त द्वाराआदमी होने काआभास सा होता हैबस आदमी काप्रतिरूप सा लगता…

संभव क्यों नहीं कविता-विनोद सिल्ला

संभव क्यों नहीं कविता कामना हैन हो कोई सरहदन हो कोई बाधाभाषाओं कीविविधताओं कीजाति-पांतियों कीसभी दिलों में बहेएक-सी सरितासबके कानों में गूंजेएक-से तरानेसबके कदम उठेंऔर करें तयबीच के फांसलेयह सबनहीं है असंभवआदिकाल में थाऐसा हीफिर आज संभवक्यों नहीं Post Views:…

लाजवाब जोड़ा कविता

लाजवाब जोड़ा कविता-विनोद सिल्ला रहता हैहमारी लॉबी मेंचिड़ियों का जोड़ाइनमें है अत्यधिक स्नेहनहीं रहते पल भरएक-दूसरे से दूरनहीं है इनमेंसॉरी-धन्यवाद सीऔपचारिकताएंये बात-बात कोनहीं बनातेनाक का सवालरखते हैंएक-दूसरे का ख्यालनहीं उतारतेबाल की खालदोनों में सेकिसी के मुंहकभी नहीं सुनीससुराल की शिकायतमुझे…

नोटबंदी पर कविता

नोटबंदी पर कविता सरकार जी आपने की थी नोटबंदीआठ नवंबरसन् दो हजार सोलह कोनहीं थकेआपके चाहने वालेनोटबंदी केफायदे बताते-बतातेनहीं थकेआपके आलोचकआलोचना करते-करतेलेकिन हुआ क्या?पहाड़ खोदने कीखट-खट सुनकरबिल छोड़कर सुदूरचूहा भी भाग निकलाआज है वर्षगांठनोटबंदी कीफायदे बताने वालेनहीं कर रहेनोटबंदी की याद…