वेतन पर कविता / स्वपन बोस “बेगाना”

वेतन पर कविता

कर्म करों फल मिलेगा मेहनत तो महिना भर हों

गया, फिर वेतन कब मिलेगा ।सूनों सहाब डालोगे

वेतन,समय पर तभी तो फिर कर्म का सुंदर फूल खिलेगा।

सूनों सहाब हम कर्मचारियों की कहानी, हमें बस

एक तारीख अच्छा लगता है। क्यों की लगभग इसी

दिन तक वेतन डलता है, फिर दो पांच दिन ही वेतन टिकता है।

सूनों सहाब एक और मेरी बात बताऊं
नौकरी जब से लगी है, मुझसे ही सबकी आशाएं बंधी है,

बच्चे का फिश,घर का राशन, डाक्टर खर्च

बैंक का इ एम आई,सब वेतन से देने है।
जिंदगी के फैसले भी लेने है।

मंहगाई ने भी कमर तोड़ दी है अब वेतन बचाना भारी हों गई है।
नौकरी करता हूं, वेतन मोटी है पर क्या करूं खर्च बड़ी हों गई है।

समय पर वेतन जब मिल जाता है।
दिल में खुशी के फुल खिल जाता है।
न मिले वेतन तो ए तन भी धोखा देता है,बड़ जाती है गोली दबाईं काम में लगता नहीं मन क्या बताऊं सहाब, वेतन बीन बेकार है जीवन।

कर बद्ध प्रार्थना करू आपसे हमारी ब्याथा समझ लो।
सबसे बड़ा पुण्य मिलेगा,समय पर वेतन और एरियस तो डाल दो ।

स्वपन बोस,, बेगाना,,
9340433481

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