विद्यालय का श्रृंगार –

विद्यालय का श्रृंगार

आशाओं के परिवेश में ये देखो उलझे नजारे हैं,
बच्चे हैं देश के भविष्य ये कल के सितारे हैं।
अ,आ,वर्णमाला विद्यालय का प्रथम आयाम है,
1से 100 तक गीनती बच्चों का व्यायाम है।
उचित ज्ञान से दूर होता है मन का विकार,
विद्यार्थीयों से होता है,विद्यालय का श्रृंगार।

उत्साहित होकर चलते हैं नन्हें पैर,
न मन मे है मनमुटाव न दिल मे बैर।
हां,अज्ञानता के कारण लड़ते हैं बच्चे,
बच्चे क्या जाने? बच्चे होते हैं अच्छे।
बच्चों के लिए पाठशाला है ज्ञान का संसार,
विद्यार्थीयों से होता है,विद्यालय का श्रृंगार।

श्यामपट की खिड़की से भविष्य को निहारते हैं,
करके अथक प्रयास बच्चे गलती सुधारते हैं।
विद्यालय में गुरु अहम भुमिका निभाता है,
गुरू का डांट बच्चों का भविष्य बनाता है।
शिक्षक मे छलकता है माता-पिता का प्यार,
विद्यार्थीयों से होता है,विद्यालय का श्रृंगार।

विद्यार्थी करते हैं अर्जीत अनमोल ज्ञान,
सच्ची मेहनत से बच्चे बनते हैं महान।
घर-परिवार सभी का आंखों का तारा,
मंजिल से बनते हैं ये सभी का प्यारा।
विद्यार्थी बनते हैं उचित ज्ञान से वफादार,
विद्यार्थीयों से होता है,विद्यालय का श्रृंगार।

अकिल खान.
सदस्य, प्रचारक “कविता-बहार” जिला – रायगढ़ (छ.ग.).

दिवस आधारित कविता