जलती धरती/पूनम त्रिपाठी

जलती धरती/डॉ0 रामबली मिश्र

जलती धरती/पूनम त्रिपाठी

NATURE
woman-day

धरती करे पुकार मानव से
मुझे न छेड़ो तुम इंसान
बढ़ता जाता ताप हमारा
क्यों काटते पेड़ हमारा
पेड़ काट रहा तू इंसान
जलती धरती सूखे नलकूप
सूरज भी आग बरसाए
बादल भी न पानी लाये
मत उजाड़ो मेरा संसार
धरती का बस यही पुकार
मै रूठी तो जग रूठेंगा
मेरे सब्र का बांध टूटेगा
भूकंप बाढ़ क़ो सहना पड़ेगा
सुंदर बाग बगीचे मेरे
हे मानव सब काम आएंगे
मेरे साथ अन्याय करोगे
सह न पाओगे बिपदा तुम
बड़े बड़े महलो क़ो बनाकर
न डालो तुम मुझपर भार
पेड़ो क़ो तुम नष्ट करके
तुम उजाड़े मेरा संसार l

पूनम त्रिपाठी
गोरखपुर. उत्तर प्रदेश