हमर गंवई गाँव

हमर गंवई गाँव 1 आबे आबे ग सहरिया बाबूहमर गंवई गाँवगड़े नही अब कांटा खोभातुंहर कुँवर पांवआबे आबे सहरिया बाबूहमर गंवई गाँव।। 2 गली गली के चिखला माटीवहु ह अब नंदागे।पक्की सड़क पक्का नालीहमरो गांव म छागे।लइका मन बर स्कूल खुलगेजगाथे गाँव के नाव।आबे आबे ग सहरिया बाबूहमर गंवई गांव ।। 3 नरवा खड़ म … Read more

बचपन पर कविता

बचपन पर कविता चिलचिलाती हुई धूप मेंनंगे पाँव दौड़ जाना,याद आता है वो बचपनयाद आता है बीता जमाना।माँ डांटती अब्बा फटकारतेकभी-कभी लकड़ी से मारतेभूल कर उस पिटाई कोजाकर बाग में आम चुराना।याद आता है वो बचपनयाद आता है बीता जमाना।या फिर छुपकर दोपहर मेंनंगे पाँव दबे-दबे सेलेकर घर से कच्छा तौलियागाँव से दूर नहर में … Read more

अचरज मा परगे

अचरज मा परगे कोठी तो बढ़हर के* छलकत ले भरगे।बइमानी के पेंड़ धरे पुरखा हा तरगे॥अंतस हा रोथे संशो मा रात दिन।गरीब के आँसू हा टप-टप ले* ढरगे॥सुख के सपुना अउ आस ओखर मन के।बिपत के आगी मा सब्बो* हा  जरगे॥सुरता के रुखवा हा चढ़े अगास मा।वाह रे वा किस्मत! पाना अस झरगे*माछी नहीं गुड़ … Read more

बच्चे होते मन के अच्छे

kids

बच्चे होते मन के अच्छे खेल कूद वो दिन भर करते,रखते हैं तन मन उत्साह।पेड़ लगा बच्चे खुश होते,चलते हैं मन मर्जी राह।।मम्मी पापा को समझाते,बन कर ज्ञानी खूब महान।बात बडों का सुनते हैं वे,रखते मोबाइल का ज्ञान।। रोज लगा जंगल बुक देखें,पाते ही कुछ दिन अवकाश।बेन टेन मल्टी राजू को,मोटू पतलू होते ख़ास।।गिल्ली डंडा … Read more

अभाव-गुरु

अभाव-गुरु “उस वस्तु का नहीं होना” मैं,जरूरत सभी जन को जिसकी।प्रेरक वरदान विधाता का,सीढ़ी मैं सहज सफलता की।।1अभिशाप नहीं मैं सुन मानव,तेरी हत सोंच गिराती है।बस सोंच फ़तह करना हिमगिरि,यह सोंच सदैव जिताती है।।2वरदान और अभिशाप मुझेतेरे ही कर्म बनाते हैं।असफल हताश,औ’ कर्मविमुखमिथ्या आरोप लगाते हैं।।3तीनों लोकों में सभी जगह,मैंने ही पंख पसारे हैं।सब जूझ … Read more