शादी से पहले
शादी से पहले मैं जीना चाहता थाएकांत जीवन प्रकृति के सानिध्य में।पर न जाने कब उलझासेवा सत्कार आतिथ्य में ।अनचाहे विरासत में मिलीदुनियादारी की बागडोर ।धीरे-धीरे जकड़ रही हैमुझे बिना किए शोर।कभी तौला नहीं थाअपना वजूद समाज के पलड़ों में ।अब जरूरी जान पड़ताकि पड़ूँ दुनियादारी के लफड़ों में ।सुख चैन मिलता सहजशादी से पहले … Read more