दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया
दर्द कागज़ पर बिखरता चला गया दर्द कागज़ पर बिखरता चला गयारिश्तों की तपिश से झुलसता चला गयाअपनों और बेगानों में उलझता चला गयादर्द कागज़ पर बिखरता चला गया कुछ अपने भी ऐसे थे जो बेगाने हो गए थेसामने फूल और पीछे खंजर लिए खड़े थेमै उनमें खुद को ढूंढता चला गयादर्द कागज़ पर बिखरता … Read more