सरहद पर कविता-विनोद सिल्ला

सरहद पर कविता सरहदों परव्याप्त हैभयावह चुप्पीकी जा रही हैचुपचाप निगहबानीकी जाती हैं बाड़बंधीनियन्त्रित करने कोइंसानों कोइंसानों की आवा-जाही कोकहा जाता हैकी जा रही है सुरक्षास्वतंत्रता कीसंप्रभुता कीसरहद नहीं होती प्रतीतस्वतन्त्रता की परिचायकसरहद तोकरती है नियंत्रितइंसानों कोउनकी स्वतंत्रता को

होलिका दहन पर कविता-प्रवीण त्रिपाठी

holika-dahan

होलिका दहन पर कविता मधुमासी ऋतु परम सुहानी, बनी सकल ऋतुओं की रानी।ऊर्जित जड़-चेतन को करती, प्राण वायु तन-मन में भरती।कमल सरोवर सकल सुहाते, नव पल्लव तरुओं पर भाते।पीली सरसों ले अंगड़ाई, पीत बसन की शोभा छाई। वन-उपवन सब लगे चितेरे, बिंब करें मन मुदित घनेरे।आम्र मंजरी महुआ फूलें, निर्मल जल से पूरित कूलें।कोकिल छिप … Read more

साथ-साथ पर कविता- रामनाथ साहू ननकी

साथ-साथ पर कविता सम्मुख यूँ बैठो रहो ,जीवन जाये बीत ।मुक्त भाव से गा सकें ,सिर्फ प्यार के गीत ।।सिर्फ प्यार के गीत ,गढ़ें हम गीत वफा के ।मानस अंकित चित्र ,चले हम इसी अदा से ।।कह ननकी कवि तुच्छ ,सहेंगे हर इक सुख दुख ।सपने होंगे सत्य ,रहो जो मेरे सम्मुख ।। ~ रामनाथ … Read more

शिवरात्रि पर कविता-कन्हैया लाल श्रीवास

प्रस्तुत कविता शिवरात्रि पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

कुण्डलिया शतकवीर- बाबूलाल शर्मा

कुण्डलिया शतकवीर – बाबूलाल शर्मा १. *वेणी* मिलती संगम में सरित, कहें त्रिवेणी धाम!तीन भाग कर गूँथ लें, कुंतल वेणी बाम!कुंतल वेणी बाम, सजाए नारि सयानी!नागिन सी लहराय, देख मन चले जवानी!कहे लाल कविराय, नारि इठलाती चलती!कटि पर वेणी साज, धरा पर सरिता मिलती! २. *कुमकुम* माता पूजित भारती , अपना हिन्दुस्तान!समर क्षेत्र पूजित सभी, … Read more