Month March 2020

माँ कालरात्रि पर कविता

माँ कालरात्रि पर कविता मात भवानी सिद्धिदा , दूर करे त्रय ताप।कालरात्रि माँ पुण्यदा , हरे सभी के पाप।।हरे सभी के पाप , माँ भव सागर तारिणी।हे शूलपाणि मात , चण्डमुण्ड संहारिणी।।कहता कवि करजोरि ,भद्रकाली वरदानी।कर दो भय से मुक्त,…

शीतऋतु के भोर पर कविता

शीतऋतु के भोर पर कविता भोर कुहासा शीत ऋतुतैर रहे घन मेह।बगिया समझे आपदावन तरु समझे नेह।।.तृषित पपीहा जेठ मेंकरे मेह हित शोरपावस समझे आपदाकोयल कामी चोर करे फूल से नेह वहमन भँवराँ नर देह।भोर……………..।।.ऋतु बासंती आपदासावन सिमटे नैनविरहा तन…

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कोरोना महामारी पर कविता

कोरोना महामारी पर कविता उथल -पुथल हो चला भूमंडलधरणी पे मची है हाहाकारहै काल के भय से जगत मौनहर ओर मनुज का चीख -पुकारजागो संभलो अब हे मानवदो अपने राजा का साथविश्व का कल्याण करने कोकरो कहीं एकांत निवास ।।…

गरीबों पर कविता

गरीबों पर कविता दौड़ने वाले पहिए थम गए,चलने वाले कदम रुक गए।लाए हैं उन अमीरों ने इसको,गरीबों की आँखें नम कर गए। ये कैसी गुलामी में फंद गए,बड़े-बड़े योद्धा भी इसे डर गए।थका बुझा सहमा सा मजदूर,जिसका जीवन पूरा बिखर…

माता की पूजा पर कविता

माता की पूजा पर कविता माता की पूजा करूँ ,जाकर उनके द्वार।जननी मेरा भी करो,भव से बेड़ापार।भव से बेड़ापार,भजन तेरा मैं गाऊँ।बने जगत सुखधाम,प्रेम ही नित मैं पाऊँ।कह डिजेन्द्र करजोरि,नहीं मुझको कुछ आता।कर तेरा गुणगान,रहूँ हरदम खुश माता।।~~~~~~~~~~~~~~~~डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”पीपरभवना,बलौदाबाजार…

कात्यायनी माँ पर कविता

कात्यायनी माँ पर कविता माता दानव घातिनी , हरो सभी के पाप।होय दूर माँ जगत के , रोग शोक संताप।।रोग शोक सन्ताप , माता हे कात्यायनी।कालहारिणी अम्ब , आदि शक्ति वरदायनी।।कहताकवि करजोरि,मात के गुण जो गाता।करती संकट दूर , हे…

गीत-सूनी सूनी संध्या भोर पर कविता

संध्या भोर पर कविता काली काली लगे चाँदनीचातक करता नवल प्रयोग।बदले बदले मानस लगतेरिश्तों का रीता उपयोग।। हवा चुभे कंटक पथ चलतेनीड़ों मे दम घुटता आजकाँप रहा पीला रथ रवि कासिंहासन देता आवाजझोंपड़ियाँ हैं गीली गीलीइमारतों में सिमटे लोग।बदले…………………।। गगन…

माता के नवराते पर कुंडलियाँ

नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन…

जीत पर कविता

जीत पर कविता काल चाल कितनी भी खेले,आखिर होगी जीत मनुज कीइतिहास लिखित पन्ने पलटो,हार हुई है सदा दनुज की।। विश्व पटल पर काल चक्र ने,वक्र तेग जब भी दिखलाया।प्रति उत्तर में तब तब मानव,और निखर नव उर्जा लाया।बहुत डराये…

महामारी पर कविता

महामारी पर कविता कोरोना से जन जीवन हताश है।खिले चेहरे आज क्यों उदास हैं।मन में भरो हमारे माता विश्वास है।विपदा की घड़ी में इंसान क्यों निराश है।माँ दुर्गा भवानी विपदा से हमको संभालो।कैसी है ये मुश्किल इससे हमको निकालो।कर जोड़…