मजदूर की दशा पर कविता
मजदूर की दशा पर कविता वह ढोता जाता है पत्थर सारी दुपहरीतब कहीं खाने को कुछ कमा पाता है,वो एक गरीब मजदूर जो ठहरा साहबकभी कभार तो भूखा ही सो जाता है। बदन लथपथ रहता है स्वेद की बूंदों सेलेकिन वो अनवरत चलता ही जाता है,उसके नसीब में कहां है हर रोज खानावो कई दफा … Read more