पानी पर कविता
पानी पर कविता क्षिति जल पावक नभ पवन,जीवन ‘विज्ञ’ सतोल।जीवन का आधार वर,पानी है अनमोल।। मेघपुष्प ,पानी सलिल, आप: पाथ: तोय।*विज्ञ* वन्दना वरुण की, निर्मल मति दे मोय।। जनहित जलहित देशहित, जागरूक हो *विज्ञ*।जीवन के आसार तब, जल रक्षार्थ प्रतिज्ञ।। वारि अम्बु जल पुष्करं, अम्म: अर्ण: नीर।उदकं, घनरस शम्बरं, *विज्ञ* रक्ष मतिधीर।। सरिता तटिनी तरंगिणी, … Read more