पानी पर कविता

पानी पर कविता क्षिति जल पावक नभ पवन,जीवन ‘विज्ञ’ सतोल।जीवन का आधार वर,पानी है अनमोल।। मेघपुष्प ,पानी सलिल, आप: पाथ: तोय।*विज्ञ* वन्दना वरुण की, निर्मल मति दे मोय।। जनहित जलहित देशहित, जागरूक हो *विज्ञ*।जीवन के आसार तब, जल रक्षार्थ प्रतिज्ञ।। वारि अम्बु जल पुष्करं, अम्म: अर्ण: नीर।उदकं, घनरस शम्बरं, *विज्ञ* रक्ष मतिधीर।। सरिता तटिनी तरंगिणी, … Read more

जलियांवाला बाग की याद में कविता

mahapurush

जलियांवाला बाग की याद में कविता जलियांवाला बाग के अमर शहीदों को सलाम।अमर कुर्बानी का पावन अमृतसर शुभ धाम।।तड़ातड़ चली थी निहत्थों पर अनगिनत गोलियां।कसूर था बस बोल रहे थे इंकलाब की बोलियाँ।।जनरल डायर की बर्बरता की चली थी अंधाधुंध गोलियां।महिलाओं बच्चों पर खेली गई खून की होलियां।।निर्दयी जनरल डायर को तनिक भी दया नहीं … Read more

धीरे धीरे पर कविता-मनोज बाथरे

धीरे धीरे पर कविता बिखरती हुई जिंदगीवीरान सी राहेंसमय गुजर रहा हैधीरे धीरेहम अपने अस्तित्व कीतलाश मेंनिकल पड़े उनराहों परमन विचलित हैउदास हैफिर भी कर रहे हैंमंजिलें तलाश हमधीरे धीरे

ख्याल पर कविता

ख्याल पर कविता पहली रोटीगाय को दीअंतिम रोटी कुत्ते कोकिड़नाल कोसतनजा भी डाल आयामछलियों कोआटा भी खिलायाश्राद्ध में कौवों को भीभौज करायानाग पंचमी परनाग को भीदूध पिलायाभुखमरी के शिकारवंचितों काख्याल न आयानिवाले केअभाव में जिन्होंनेजीवन गंवाया –विनोद सिल्ला©

मजबूरी पर कविता-मनोज बाथरे

मजबूरी पर कविता मजबूरी इंसान कोक्या से क्याबना देती हैकही ऊपर उठाती हैतो कहीझुका देती हैइन्ही के चलतेइंसान अपनीमजबूरी के चलतेएकदम हताश होजाता हैपर इससे निकलनेके लिएप्रयास बेहद जरूरी हैमनोज बाथरे चीचली