घर का संस्कार है बेटी
घर का संस्कार है बेटी घर आँगन की शान,अभिमान है होती।माँ बाप की जान पहचान होती है बेटी।अक्सर शादी के बाद पराए हो जाते हैं बेटे।दो कुलों की मान-सम्मान होती है बेटी।1।माँ के रूप में ममता की मूरत है बेटी।पत्नी…
घर का संस्कार है बेटी घर आँगन की शान,अभिमान है होती।माँ बाप की जान पहचान होती है बेटी।अक्सर शादी के बाद पराए हो जाते हैं बेटे।दो कुलों की मान-सम्मान होती है बेटी।1।माँ के रूप में ममता की मूरत है बेटी।पत्नी…
मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ / गोपालदास “नीरज” मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर कीहो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ? मीलों जहाँ न पता खुशी कामैं उस आँगन का इकलौता,तुम उस…
हार न अपनी मानूँगा मैं ! / गोपालदास “नीरज” हार न अपनी मानूँगा मैं ! चाहे पथ में शूल बिछाओचाहे ज्वालामुखी बसाओ,किन्तु मुझे जब जाना ही है —तलवारों की धारों पर भी, हँस कर पैर बढ़ा लूँगा मैं ! मन में मरू-सी…
खिलते हैं गुल यहाँ / गोपालदास “नीरज” खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखरने कोमिलते हैं दिल यहाँ, मिलके बिछड़ने कोखिलते हैं गुल यहाँ… कल रहे ना रहे, मौसम ये प्यार काकल रुके न रुके, डोला बहार काचार पल मिले जो…
दिल आज शायर है / गोपालदास “नीरज” दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा हैशब ये ग़ज़ल है सनमगैरों के शेरों को ओ सुनने वालेहो इस तरफ़ भी करम आके ज़रा देख तो तेरी खातिरहम किस तरह से जियेआँसू के…
लिखे जो खत तुझे / गोपालदास “नीरज” लिखे जो ख़त तुझेवो तेरी याद मेंहज़ारों रंग केनज़ारे बन गए सवेरा जब हुआतो फूल बन गएजो रात आई तोसितारे बन गए कोई नगमा कहीं गूँजा, कहा दिल ने के तू आईकहीं चटकी…
शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब / गोपालदास “नीरज” शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाबउसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराबहोगा यूँ नशा जो तैयारहाँ…होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है शोखियों में घोला जाये, फूलों का…
वो हम न थे वो तुम न थे / गोपालदास “नीरज” वो हम न थे, वो तुम न थे, वो रहगुज़र थी प्यार कीलुटी जहाँ पे बेवजह, पालकी बहार कीये खेल था नसीब का, न हँस सके, न रो सकेन…
आज की रात बड़ी शोख़ बड़ी नटखट है आज की रात बड़ी शोख़ बड़ी नटखट है आज तो तेरे बिना नींद नहीं आएगी आज तो तेरे ही आने का यहाँ मौसम है आज तबियत न ख़यालों से बहल पाएगी। देख!…
जो कहा नही गया / अज्ञेय है,अभी कुछ जो कहा नहीं गया । उठी एक किरण, धायी, क्षितिज को नाप गई,सुख की स्मिति कसक भरी,निर्धन की नैन-कोरों में काँप गई,बच्चे ने किलक भरी, माँ की वह नस-नस में व्याप गई।अधूरी…