माँ शारदे पर कविता

sharde maa

माँ शारदे पर कविता (देव घनाक्षरी) नमन मात शारदेअज्ञानता से तार देकरुणा की धार बहामुख में दो ज्ञान कवल।। वीणा पुस्तकधारिणीभारती ब्रह्मचारिणीशब्दों में शक्ति भरदोवाणी में दो शब्द नवल।। हंस की सवारी करेतमस अज्ञान हरेरोशन जहान करेपहने माँं वस्त्र धवल।। अज्ञानी है माता हमकरिए दोषों को शमज्ञान का दान कर दोबढ़ जाएगा बुद्धि बल।। ✍️ … Read more

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ठंडी का मौसम -अंजनी कुमार शर्मा

अंजनी कुमार शर्मा

ठंडी का मौसम –अंजनी कुमार शर्मा आया है ठंडी का मौसमसूरज का बल हुआ है कमओढे़ कोहरे की चादरगाँव-गाँव और नगर-नगरस्वेटर पहने जन पडे़ दिखाईओढे़ कंबल और रजाईकाँप रहा है कलुआ कुत्ताखलिहान में पडा़ है दुबकाठंडी के आगे सब हारेछिप गये हैं चाँद और तारेबर्फीली हवाएँ जब चलतीतन-मन में तब सिहरन उठतीऔर फिर कूछ नहीं … Read more

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मैं भी सांता क्लाॅज

aashis kumar

मैं भी सांता क्लॉज क्रिसमस डे को सुबह सवेरे मैं भी निकला बन ठन कर सांता क्लॉज के कपड़े पहन चलने लगा झूम झूम कर पीठ पर लिया बड़ा सा थैला खिलौने रख लिए भर भर कर लंबी दाढ़ी पर हाथ फेरते मैं चला बच्चों की डगर पहुँचा क्रिसमस पार्टी में जब बच्चों की तैयारी … Read more

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पैसों के आगे सब पराया

कविता संग्रह

मुश्किल समय में नहीं आता है; अपने ही अपनो के काम होगा। आगे चलकर भुगतना पड़ता है; ऊँचे से ऊँचे मोल का दाम होगा।1। मोल पैसों का नहीं संस्कार का है; प्यार से करो बात मन में जगता आस। माता-पिता और गुरु से मिले जो संस्कार; कभी ना खोना धैर्य मन में रखो विश्वास।2। मुश्किल … Read more

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जिम्मेदारी पर कविता

rambriksh-bahadurpuri

कविता-जिम्मेदारियां जिम्मेदारियां एक बोझ है ढोने वाले पर लद जाते हैं, ना ढोने वाले को नासमझ/ नालायक/ आवारा लोग कह जाते हैं, जिम्मेदारियां, जीवन का एक पहलू है बिना जिम्मेदारी के जीवन जानवर का बन जाते हैं , जिम्मेदारियों से घबड़ाना/ चिल्लाना/ कभी नहीं परेशानियां तो इनके संग ही आते हैं, जिम्मेदारियों से अपनो में … Read more

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वक्त पर कविता

कविता संग्रह

वक्त पर कविता पलटी खाता वक्त बेवक्त, मुंह बिचका के चिढ़ाता है। किया धरा पानी फिराता, वक्त ओंधे मुंह गिराता है।। सगा नहीं किसी का वक्त, हर वक्त चलता रहता है। कभी धूप कभी छांव सा, स्वरूप बदलता रहता है।। कच्ची धूप ओस की बूंद, प्रकृति को निहलाती है। तेज़ धूप झुलसाती तपन, अंत में … Read more

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जीवन का पथ

rambriksh-bahadurpuri

जीवन का पथ दूर भले हो पथ जीवन का त्याग हौसिला कभी न मन का चलना सीखो अपने पथ पर चलते चलना बढ़ हर पग पर आलस में ना समय गवांना बिना अर्थ ना समय बिताना लक्ष्य तभी जब ना पाओगे मलते हाथ ही रह जाओगे सुख दु:ख दोनों मिलते पथ में संग चले जीवन … Read more

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चली चली रे रेलगाड़ी

बाल कविता

चली चली रे रेलगाड़ी छुक छुक छुक छुक छुक छुक छुक छुक झटपट बना ली गाड़ी चली चली रे देखो चली रेलगाड़ी रेलगाड़ी देखो बच्चों की निकली सवारी देखो बच्चों की निकली सवारी लपेट लपेट ऐसा मोड़ा दोनों पल्लू साथ में जोड़ा देखो रस्सी बन गई साड़ी चली चली रे देखो चली रेलगाड़ी रेलगाड़ी देखो … Read more

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दिल का पैगाम

गेय कविता

दिल का पैगाम भेज रहा हूँ पैगाम तुझको आँखें मिलाकर आँखों से चेहरा पढ़कर महसूस कर ले जो समझा न सके अपनी बातों से ना समझना इसे कोरा कागज ना तौलना इसे लहू के नातों से है पैगाम हमारा वफा-ए-इश्क जो लिखा है दिल के जज्बातों से इसमें लगी है प्यार की स्याही पैगाम भरा … Read more

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आज बेटी किसी की बहू

कविता संग्रह

आज बेटी किसी की बहू गीत – उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट दर्द को जो समझते नहीं हैं कभी, बेटियों से किसी की करें हाय छल।क्यों बहू को यहाँ नौकरानी समझ, जुल्म ढाने लगे लोग हैं आजकल।। आज बेटी किसी की बने जब बहू, क्यों समझते नहीं लोग मजबूरियाँ।बढ़ रही खूब हिंसा घरेलू यहाँ, प्यार के नाम … Read more

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