उपमेंद्र सक्सेना – मुहावरों पर कविता

उपमेंद्र सक्सेना – मुहावरों पर कविता नैतिकता का ओढ़ लबादा, लोग यहाँ तिलमिला रहे हैं और ऊँट के मुँह में जीरा, जाने कब से खिला रहे हैं। आज कागजी घोड़े दौड़े, कागज का वे पेट भरेंगेजो लिख दें वे वही ठीक है, उसे सत्य सब सिद्ध करेंगेचोर -चोर मौसेरे भाई, नहीं किसी से यहाँ डरेंगेऔर … Read more

लोक गीत -उपमेंद्र सक्सेना

लोक गीत -उपमेंद्र सक्सेना जाकी लाठी भैंस बाइकी, बाकौ कौन नाय अबु जनि हैकमजोरन की लुगाइनन कौ,दइयर तौ भौजाई मनि है। ब्याहु पड़ौसी को होबन कौ, बाके घरि आए गौंतरियापपुआ ने तौ उनमैं देखी, गौंतर खाउत एक बहुरियाबाके पीछे बौ दीबानो, औरन कौ बौ नाहीं गिनि हैकमजोरन की लुगाइनन कौ, दइयर तौ भौजाई मनि है। … Read more

बाल कविता – भ्रमण

बाल कविता – भ्रमण सुबह भ्रमण को हम जाएं ।ठंडी – ठंडी हवा में नहाएं ।। वो देखो-देखो कौन आए ।बन्दरों की फौज शोर मचाए।। नाच रहे ठुमक-ठुमक कर मोर ।भ्रमण-पथ पर ये दृश्य मन भाए।। नन्हीं चिड़ियों के मधुर तराने ।मैना-तीतर मिल सुर मिलाए ।। पेड़ पौधे मिलकर गाना गाये।ठंडी हवाएं मन को बहुत … Read more