चल मेरे भाई – वन्दना शर्मा
चल मेरे भाई – वन्दना शर्मा चलो आज गुजार लेते हैं कुछ खुशी के लमहे,बन जाते हैं एक बार फिरसिर्फ इंसान,और चलते हैं वहाँउसी मैदान में जहाँ,राम और रहीम एक साथ खेलते हैं।चढ़ाते हैं उस माटी का एक ही रंगचलते…
चल मेरे भाई – वन्दना शर्मा चलो आज गुजार लेते हैं कुछ खुशी के लमहे,बन जाते हैं एक बार फिरसिर्फ इंसान,और चलते हैं वहाँउसी मैदान में जहाँ,राम और रहीम एक साथ खेलते हैं।चढ़ाते हैं उस माटी का एक ही रंगचलते…
आईना पर कविता – कुमुद श्रीवास्तव वर्मा हमको, हमीं से मिलाता है आईना. इस दिल के जज्बात बताता है आईना. हुआ किसी पे फिदा ,ये बताता है आईना. संवरनें की चाह जगाता है आईना. उम्र के तजुर्बों को बताता है…
शीत ऋतु पर हाइकु – धनेश्वरी देवांगन सिंदुरी भोर धरा के मांग सजी लागे दुल्हन नव रूपसी दुब मखमली सी छवि न्यारी सी कोहरा छाया एक पक्ष वक्त का दुखों का साया …
रुक्मणि मंगल दोहे / पुष्पा शर्मा “कुसुम” विप्र पठायो द्वारिका,पाती देने काज।अरज सुनो श्री सांवरे,यदुकुल के सरताज।। रुक्मणि ने पाती लिखी,सुनिये श्याम मुकुंद।मो मन मधुप लुभाइयो,चरण- कमल मकरंद।। सजी बारात विविध विधि,आय गयो शिशुपाल।सिंह भाग सियार कहीं,ले जावे यहि काल।। …
हार कर जीतना – पूनम दुबे सही तो है हार कर भी,मैं जीत रही हूं,तुम्हारे लिए कभी बच्चों,के लिए कभी परिवार ,के लिए मैं हार कर भी जीत ,रही हूं,क्या हुआ अगर मेरे आत्मसम्मान परचोट लगती,है मेरे आंसुओं से क्या…
आखिर कब आओगे – रश्मि शर्मा मुझे अकेला छोड़कर कहाँ जाओगे तुम,इन्हीं राहों में खड़ी हुँ कभी तो मिलोगे तुम। छोटी सी बात पर आंख फेर ली तुमने,कब तक यूँ मुझसे रूठे ही रहोगे तुम। रात भर जागती रही आंखे…
चल मुसाफिर चल-केवरा यदु “मीरा “ जिन्दगी काँटों भरी है चल मुसाफिर चल ।गिर गिर कर उठ संभल मुसाफ़िर चल । लाख तूफाँ आये तुम रूकना नहीं।मंजिलों की चाह है झुकना नहीं ।मंजिल तुझे मिल जायेगी आज नहीं तो कल।…
साल ही तो है कुछ को होगी ख़ुशी, कोई ग़म से भर जाएगान जाने ये नया साल भी, क्या कुछ कर जाएगा कुछ अरमान होंगे पूरी इसमें उम्मीद है हमेंऔर कुछ इस साल कि तरह ख़ुद में मर जाएगा टूटा…
धर्म एक धंधा है गंगाधर मनबोध गांगुली “सुलेख “ समाज सुधारक ” युवा कवि “ क्या धर्म है ,क्या अधर्म है ? आज अधर्म को ही धर्म समझ बैठें हैं । धर्म से ही वर्ण व्यवस्था , समाज में आया…
महामानव अटल बिहारी बाजपेयी पर कविता मानवता के प्रेणता थे। राष्ट के जन नेता थे।भारत माँ के थे तुम लाल। प्रजातंत्र में किया कमाल।।विरोधी भी कायल थे। दुश्मन भी घायल थे।।पत्रकार व कवि सुकुमार। प्रखर वक्ता में थे सुमार।।जीवन की सच्चाई लिखने…