क्यों जाति की बात करें

क्यों जाति की बात करें
(१६,१६)

कविता संग्रह
कविता संग्रह

जब जगत तरक्की करता हो,
देश तभी उन्नति करता है।
जब मानव सहज विकास करे,
क्यों जाति द्वेष की बात करें।

जाति धर्म मे पैदा होना,
मनुजों की वश की बात नहीं,
फिर जाति वर्ग की बात करें
यह सच्ची अच्छी बात नहीं।

माना जो पहले बीत गया,
कुछ कर्मी वर्ग अवस्था थी,
नवयुग मे नया प्रभात करें,
क्यों जाति वर्ग की बात करें।

परदुख पर दो आँसू टपके,
हरसुख पर मिल दो ताली दें
जाति मनुज की मनुज जाति है,
तब क्यों जाती की गाली दे।

जब बंधन ढीले पड़ते हो,
सबजन विकास पथ बढ़ते हो,
जब सूरज सहज प्रकाश करे,
सबजन मिल सतत प्रयास करें।

जब जन मन सरल सनेह करे,
सत साहित्यिक अभ्यास करे,
जब मानव सहज विकास करे,
हम क्यो जाती की बात करे।
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बाबू लाल शर्मा

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