हाँ मैं भारत हूँ -रामनाथ साहू”ननकी”

हाँ मैं भारत हूँ -रामनाथ साहू”ननकी”

आधार — *थेथी छंद* ( मात्रिक ) आदि त्रिकल (14/10 ) , पदांत – 112

मृत्यु तथा जीवन का सुख ,सर्व सदाकत हूँ ।
अरब वर्ष से शुभचिंतक , हाँ मैं भारत हूँ ।।
सभी उपनिषद् विश्लेषक , सद्गुरु ईश्वर के ।
प्रश्न अनूठी जिज्ञासा , शंकास्पद स्वर के ।।

लोक और परलोक सभी , भ्रम निवारक ये ।
वृहद समस्या के हल दे , परम सुधारक ये ।।
ब्रह्म जनित ज्ञान प्रणेता , मानस ज्ञान भरे ।
अज्ञ विज्ञ चेतनता से , संचित मर्म धरे ।।

एक अंश परमात्मा का , सबको ज्ञान दिया ।
परंपरागत अनुयायी , शुभ सम्मान लिया ।।
पुनर्जन्म की अवधारण , है सिद्धांत रचे ।
विद्यमान महत् तत्व से , कोई नहीं बचे ।।

पर्व उपनिषद् एकादश , अर्वाचीन जने ।
चिंतनीय मानव के हित , अद्भुत शास्त्र बने ।।
परम हितैषी सकल प्रकृति , कुशल वजाहत हूँ ।
आदि मनीषी अन्वेषक , हाँ मैं भारत हूँ ।।

ज्ञान पुंज की सरल सहज , सदा रफाकत हूँ ।।
सभी सभ्यता का साक्षी , हाँ मैं भारत हूँ ।।
मुख्य चार वेद अलावा , भी उपवेद बने ।
परम सहायक हैं मानो , सद्गुण सुघर सने ।।

अर्थशास्त्र पर दाँव पेच , राजनीतिक धरे ।
गहन अध्ययन जो करता , जग में नाम करे ।।
नृत्य एवं संगीत ज्ञान , हैं गंधर्व भरे ।
सूक्ष्म मंत्रणा ये वैदिक , सभी अवगुण हरे ।।

धनुर्वेद मे शिक्षा है , शस्त्र विधान सभी ।
युद्ध कला पारंगतता ,आये काम कभी ।।
देह चिकित्सा का वर्णन , आयुर्वेद करे ।
रोग व्याधियाँ जो आये , पीड़ा सर्व हरे ।।

शल्य एवं विष संबंधी , आयुर्वेद पढ़ो ।
औषधियों को सब जानो , जीवन राह बढ़ो ।।
ज्ञान महोदधि तन मन का , नेक इजारत हूँ ।
करूँ निरोगी सब काया , हाँ मैं भारत हूँ ।।

अन्य स्श्रोत में उत्तम है , यह साहित्य सुधा ।
कभी नहीं कम है होती , ऐसी महा क्षुधा ।।
आदि अंत का हरकारा , परिमल आरत हूँ ।
छंद खजाने का दाता , हाँ मैं भारत हूँ ।।

अगर जानना है मुझको , वैदिक छंद पढ़ो ।
शनैः शनैः ही कदमों से , ईश्वर पंथ बढ़ो ।।
समय समाजों की गाथा , ऋषि कुल वेद भरे ।
छंद बद्ध लेखन शैली , हैं जीवंत हरे ।।

छंद जनक हैं ऋषि पिंगल , जो उपलब्ध यहाँ ।
शास्त्र लिखे कवि मन के हित , ऐसा और कहाँ ।।
शोध किया वर्णाक्षर का , कल निर्माण किया ।
नये विधानों को सर्जित , छंद विधान दिया ।।

लोक हित्य छांदस लेखन , से अमरत्व मिले ।
मनुज भावना सामाजिक , प्रिय नवदीप जले ।।
लिखे गये मंत्र सूक्त सब , वही नवागत हूँ ।
शिष्ट सर्जना का स्वामी , हाँ मैं भारत हूँ ।।


—– *रामनाथ साहू* *” ननकी “*
*मुरलीडीह*

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