5 अक्टूबर 1994 को यूनेस्को ने घोषणा की थी कि हमारे जीवन में शिक्षकों के योगदान का जश्न मनाने और सम्मान करने के लिए इस दिन को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
शिक्षक की अभिलाषा
शिक्षक की अभिलाषा
मानव के लिए शिक्षा,एक अनमोल वरदान है,
जो हो गया शिक्षित,उसका अलग पहचान है।
अशिक्षा से मनुष्य,निराश और परेशान है,
जो जलाए शिक्षा का दीप,वही ज्ञानवान है।
गुरू की करो सेवा,गुरु है ज्ञान की परिभाषा,
सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
कर मेहनत विद्यार्थिगण,रचो तुम इतिहास,
खुद को करो साबित न बनो तुम ‘उपहास’।
कहता है ‘अकिल’,शिक्षक बीन सब है सुना,
गुरू का बखान करती है,प्राचीन गंगा-यमुना।
गुरु का ज्ञान है अनमोल,यह दूर करे हताशा,
सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
शिक्षक का करो सम्मान,रखिए उनका ध्यान,
शिक्षक है पथ-प्रदर्शक,शिक्षक है ज्ञान-संज्ञान।
शिक्षक एक विचार है,शिक्षा का न हो अपमान,
शिक्षा से हो उद्धार,दूर हो अशिक्षा का तूफान।
हो सर्वत्र सम्मान,शिक्षक का यही है पिपासा,
सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
शिष्य करे नाम रोशन,हो असहायों का पोषण,
अज्ञानता की बाग में,नित करे ज्ञान का रोपण।
डा.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी,का हो नित-यश,
5 सितम्बर को मनाईए,सभी ‘शिक्षक दिवस’।
नित करो प्रयास,न रखो मन में कोई निराशा,
सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
ज्ञान नित बांटा जाए,इस अलौकिक संसार में,
ज्ञान की हो वृद्धि,धर्म-समाज और व्यवहार में।
ज्ञान का दीपक से रोशन हो,हर गली हर क्षेत्र,
अज्ञानता की घटा दूर हो,खुले ज्ञान का नेत्र।
संघर्ष में घबराओ नहीं,दिल को दो दिलाशा,
सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
संसार बनाने वाले ने,शिक्षक भी यहाँ बनाया है,
गुरु को शिक्षा और समाज का रक्षक बनाया है।
गुरू कहे शिष्य को,संघर्ष से बनो तुम महान,
करोगे तुम ऊंचा,अपने और शिक्षक का नाम।
एक दिन मिलेगी सफलता,रखो मन में आशा,
सम्मान की जिज्ञासा,शिक्षक की अभिलाषा।
अकिल खान.सदस्य,प्रचारक,
‘कविता बहार’ जिला – रायगढ़ (छ.ग.)