इश्क पर कविता-माधवी गणवीर, छत्तीसगढ़

इश्क पर कविता

यू इस तरह न मुंह मोड़ कर चला करो,
है इश्क तो जुबां से भी कहा करो।

क्यों हाथ मिलाने पर रहते हो आमादा हर वक्त,
अजनबी लोगों से थोड़ा फासले से मिला करो।

भूल सकते नहीं तेरे अहसास कभी हम,
हर राह पर, हर मोड़ पर तुम ही तुम दिखा करो।

हर वक्त यूं वक्त न जाया किया करो,
डायरी में लिखी चन्द ग़ज़ले भी पढ़ा करो।

दिल्लगी नहीं ये दिल की लगी थी,
दिल से निभाओगे बस यही दुआ करो।

किस्से मशहूर हैं इश्क के बे़हद,
फु़र्सत मिले तो उसे भी सुना करो।

माधवी गणवीर
छत्तीसगढ़
7999795542
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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