साल ही तो है
कुछ को होगी ख़ुशी, कोई ग़म से भर जाएगा
न जाने ये नया साल भी, क्या कुछ कर जाएगा
कुछ अरमान होंगे पूरी इसमें उम्मीद है हमें
और कुछ इस साल कि तरह ख़ुद में मर जाएगा
टूटा है गर मोहब्बत तो, हो ही जाएगा दोबारा
बस देखो एहतियातन वहाँ तज जहाँ तक नज़र जाएगा
कुछ ना हुआ अच्छा तो उदास मत होना मेरे यारों
साल ही तो है बारह महीनों में फिर गुज़र जाएगा
– दीपक नायक “राज़”