काम बोलता है पर कविता
वह बचपन से ही
कुछ करने से पहले
अपने आसपास के लोगों से
बार-बार पूछता था
…यह कर लूं ? …वह कर लूं ?
लोग उन्हें हर बार
चुप करा देते थे
माँ से पूछा-पिता से पूछा
दादा-दादी और भाई-बहनों से पूछा
पूछा पूरे परिवार से
सारे सगे संबंधियों से
दोस्त-यार और शिक्षकों से भी पूछा
किसी ने भी उसे जवाब में
करने या न करने के संबंध में
कुछ भी नहीं कहा
आज वह बड़ा हो गया है
अब वह किसी से कुछ भी नहीं पूछता
सब कुछ अपने मन से करता है
लोग उसकी करनी देख
कुछ भी नहीं बोल पाते
रहते हैं बिलकुल मौन
लोग अब उन्हें सब कुछ करते हुए
आश्चर्य भरी निगाहों से
सिर्फ देखते हैं
अब वह बोलता कुछ भी नहीं
पूछता कुछ भी नहीं
बस कर्मलीन
काम करता है चुपचाप
आज उसका काम बोलता है।
— नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
सुन्दर कविता
जी धन्यवाद