आओ हम सौगंध उठाएँ

आओ हम सौगंध उठाएँ

प्रेम, सौहार्द्र, भ्रातृत्व भाव की
धरा पर अखंड ज्योति जलाएँ
भेदभाव न हो  जाति धर्म का
आओ  हम  सौगंध  उठाएँ l
ईश्वर, अल्लाह, राम, रहीम की
पूज्य धरा को  स्वर्ग  बनाएँ
एक पिता हम सबका मालिक
एकता  का  संदेश  फैलाएँ l
ऊँच, नीच,मज़हब,संप्रदाय का
भेदभाव  मुल्क  से  ही  हटाएँ
अमन, शांति, चैन,  सुकून  का
आओ  मिल कर बीड़ा उठाएँ l
हिन्दू,  मुस्लिम,  सिक्ख, ईसाई
धार्मिक भेद दिलों  से  मिटायें
एक हैं  हम  सिर्फ  भारतीय हैं
प्रेम की  लौ  दिलों  में  जलाएँ l
नफ़रत, ईर्ष्या, द्वेष  भाव को
जग के आँगन  से दूर  हटाएँ
राम -रहीम  की पावन भू  को
मोहब्बत, प्रेम से ज़न्नत  बनाएँ l
चंद्र, सूर्य, हिम, सागर इक सबका
फिर  मज़हब की  है क्यों धाराएँ
गंगा, यमुना,सरस्वती सम पावन
विचारों  को अपना  श्रेष्ठ  बनाएँ l
आतंकवाद, भ्रष्टाचार को हम
मिलजुलकर  समूल  मिटाएँ
परस्पर स्नेह मशाल जलाकर
मानवता  का  सूरज  चमकाएँ l
कुसुम लता पुन्डोरा
आर के पुरम
नई दिल्ली
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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