इस दिवाली कुछ ऐसा कर देना
हे ऐश्वर्य की देवी !
कल्याणकारिणी तुझे प्रणाम !
एक निवेदन मेरी सुन लो ,
लाया हूं विकट पैगाम ,
तुझसे कोई अछूता नहीं ,
फिर गरीबो को क्यूं छूता नही ,
तेरी महिमा अपरंपार ,
तेरी चरणों मे समृद्धि भंडार ,
अमीरों के घरों में बिन बुलाए आती ,
गरीबो को भूल जाती ?
ध्यान धरा तेरी है पर ,
नंगा तन क्षुधा अकुलाते बच्चे ,
रो रहे विवश ,
क्यूं तुम्हें लगते अच्छे ?
शायद वे तुम्हें वैसे ही पसंद है ,
तभी इनकी संख्या बढ़ते जाते ,
अभावग्रस्त बिलखती माता ,
रो -रोकर तुझे खुश नहीं कर पाते ,
है दयामयी ! हे करुणामयी !
इस दिवाली कुछ ऐसा कर देना ,
इन जैसों का भी घर भर देना ,
अधनंगे घूमते थक गए है ,
झिड़कियों से वे पक गए हैं ,
मेरा पैगाम तुम सुन लेना ,
उन्हें अब तक की सारी दीवाली देना ,
– शैलेन्द्र चेलक –
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद