कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

बाबूराम सिंह की कुण्डलियां

बाबूराम सिंह की कुण्डलियां मानुष तनअनमोल अति,मधुरवचन नितबोल।रहो परस्पर प्यार से ,जन -मन मधुरस घोल।।जन-मन मधुरस घोल,जीवन सुज्योति जलेगा।होगा कर्म अकर्म , हृदय में पुण्य फलेगा।।कह बाबू कविराय ,कुचलो पाप अधर्म फन।पुनः मिले ना मिले,सोच लो यह मानुष तन।।* देना…

तीजा पोरा के दिन आगे

तीजा पोरा के दिन आगे तीजा पोरा के दिन आगे चलो मइके दुआरी माउहाँ दाई डहर देखे अपन चढ़के अटारी मा । गुड़ी मा बैठ के रद्दा निहारत हे बिहनिया लेलगे होही मया मारे सियनहा संग चारी मा । मया…

पोरा तिहार

पोरा तिहार छत्तीसगढ़ के परब आगे,हिरदे मा ख़ुशी छा गे गा।माटी के बइला ला भरले,पोरा तिहार मना ले गा।काठा भर पिसान सान ले,ठेठरी खुरमी बना ले गा।पोरा तिहार के परम्परा ला,संगे- संग निभाले गा।मोटरा बांध के ठेठरी खुरमी,बहिनी घर अमराबे…

विनोद सिल्ला की कविता

भाईचारा पर कविता मैंने मना कर दिया मैंने भाईचारानिभाने सेमना कर दिया थी उनकी मनसामैं उनकोभाई बनाऊंवे मुझको चारा । -विनोद सिल्ला मेरा कुसूर मैं था कठघरे मेंदागे सवालउठाई उंगलीलगाए आक्षेपनिकाली गलतियाँनिकम्मों ने मेरा कुसूर था किमैंने काम किया ।…

भ्रमर दोहे – बाबूराम सिंह

भ्रमर दोहे आगे-आगे जा करे,जो सुधैर्य से काम।बाढे़ चारो ओर से , ढे़रों नेकी नाम।। प्यासेको पानी पिला,भूखेको दोभीख।वेदों शास्त्रोंका यहीं,लाखों में है सीख।। जाने माने लोग भी ,हो जाते हैं फेल।पूर्ण यहाँ कोई नहीं,माया का है खेल।। गाये धाये…