कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

त्रिभंगी छंद [सम मात्रिक]

त्रिभंगी छंद [सम मात्रिक] विधान – 32 मात्रा, 10,8,8,6 पर यति, चरणान्त में 2 गा l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l पहली तीन या दो यति पर आतंरिक तुकांत होने से छंद का लालित्य बढ़ जाता है…

सार छंद [सम मात्रिक]

सार छंद [सम मात्रिक] विधान – 28 मात्रा, 16,12 पर यति, अंत में वाचिक भार 22 गागा l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l उदाहरण :कितना सुन्दर कितना भोला, था वह बचपन न्यारा,पल में हँसना पल में रोना,…

गगनांगना छंद [सम मात्रिक] कैसे लिखें

गगनांगना छंद [सम मात्रिक] विधान – 25 मात्रा, 16,9 पर यति, चरणान्त में 212 या गालगा l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l उदाहरण : कब आओगी फिर, आँगन की, तुलसी बूझती, किस-किस को कैसे समझाऊँ, युक्ति न…

रोला छंद [सम मात्रिक] कैसे लिखें

रोला छंद [सम मात्रिक] विधान – 24 मात्रा, 11,13 पर यति, यति से पहले वाचिक भार 21 या गाल (अपवाद स्वरुप 122 या लगागा भी) और यति के बाद वाचिक भार 12 लगा या 21 गाल l कुल चार चरण,…

साल आता रहा दिन गुजरता रहा

साल आता रहा दिन गुजरता रहा साल आता रहा दिन गुजरता रहाचाँद लाचार होकर पिघलता रहा।।उनको रोटी मिली ना रही आबरुवो तो रुपये की सूरत बदलता रहा।। दूर मुझसे रहे खाई गहरी रहीवक़्त मुझसे मुझी में सिमटता रहा।।पांच वर्षों में…