तुम गुलाब मैं तेरी पंखुरी – उमा विश्वकर्मा
तुम गुलाब, मैं तेरी पंखुरी
तुम सुगंध, मैं हूँ सौन्दर्य |
तुझमें है लालित्य समाया
मुझमें रचा-बसा माधुर्य |
सारा जग, तुमसे सुरभित है
तुमसे ही, लावण्य उदित है
तुम ही देव चरण में शोभित
जन-जन का मन, रहे प्रफुल्लित
तुम पर ईश्वर, की अनुकम्पा
मुझमें रंग भरा प्राचुर्य |
तुम गुलाब, मैं तेरी पंखुरी
तुम सुगंध, मैं हूँ सौन्दर्य |
पुष्प-वाटिका, के तुम राजा
अद्भुत् अनुपम, सत अनुरागा
सुर्ख लाल रंग, तुम धारे हो
प्रेयसी प्रियतम, के प्यारे हो
मैं तुझमें हूँ, मुझमें तुम हो
तुमसे है मेरा ऐश्वर्य |
तुम गुलाब, मैं तेरी पंखुरी
तुम सुगंध, मैं हूँ सौन्दर्य |
तुम माला में, गूंथे जाते
मान बढ़ाते, कंठ सजाते
भले देह है, कोमल अपनी
किन्तु अभिलाषा, है इतनी
कंटक पथ पर, बिछ जाऊँ
बना रहे इतना धैर्य |
तुम गुलाब, मैं तेरी पंखुरी
तुम सुगंध, मैं हूँ सौन्दर्य |
उमा विश्वकर्मा
कानपुर-208001, उत्तर प्रदेश
मो० 9554622795, 9415401105