Author: कविता बहार

  • मेला पर बाल कविता

    मेला पर बाल कविता

    कविता 1



    काले बादल, काले बादल।
    मत पानी बरसाओ बादल ॥

    मुझे देखने मेला जाना ।
    यहाँ नहीं पानी बरसाना।

    मेले से जब घर आ जाऊँ।
    तुमको सारा हाल सुनाऊँ।

    तब चुपके से गाँव में आता।
    छम-छम कर पानी बरसाना ।।

    मेला पर बाल कविता

    कविता 2

    जब जब भी है आता मेला
    हमको खूब लुभाता मेला,
    इसे देख मन खुश हो जाता
    नई उमंगें लाता मेला।

    दृश्य कई भाते मेले में
    चीज कई खाते मेले में,
    झुंड बना ग्रामीण लोग तो
    गीत कई गाते मेले में।

    मेले में हैं चकरी झूले
    बच्चे फिरते फूले – फूले,
    रंग – बिरंगी इस दुनिया में
    आ सब अपने दुःख को भूले।

    मेले की है बात निराली
    तिल रखने को जगह न खाली,
    लगता जैसे मना रहे हैं
    लोग यहाँ आकर दीवाली।

    मेलों से अपनापन बढ़ता
    रंग प्रेम का मन पर चढ़ता,
    मानव सामाजिक होने का
    पाठ इन्हीं मेलों से पढ़ता।

    जब जब भी है आता मेला
    हमको खूब लुभाता मेला,
    इसे देख मन खुश हो जाता
    नई उमंगें लाता मेला।

  • हाथी पर बाल कविता

    हाथी पर बाल कविता

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    हाथी पर कविता 1

    हाथी आया झूम के,
    धरती माँ को चूम के।

    टाँगे इसकी मोटी हैं,
    आँखें इसकी छोटी हैं।

    गन्ने पत्ती खाता है,
    लंबी सूँड़ हिलाता है।

    सूपा जैसे इसके कान,
    देखो-देखो इसकी शान ॥

    हाथी पर कविता 2

    हाथी राजा कहाँ चले?
    सूँड हिलाकर कहाँ चले?
    हाथी राजा कहाँ चले?
    सूँड हिलाकर कहाँ चले?

    मेरे घर भी आओ न!
    हलवा पूरी खाओ न!
    मेरे घर भी आओ न!
    हलवा पूरी खाओ न!

    राजा बैठे कुर्सी पर,
    कुर्सी बोली चटर-पटर! चटर-पटर!
    राजा बैठे कुर्सी पर,
    कुर्सी बोली चटर-पटर! चटर-पटर!
    चटर-पटर! चटर-पटर!

    हाथी राजा कहाँ चले,
    सूँड हिलाकर कहाँ चले?
    हाथी राजा कहाँ चले,
    सूँड हिलाकर कहाँ चले?

    मेरे घर भी आओ न!
    हलवा पूरी खाओ न!
    मेरे घर भी आओ न!
    हलवा पूरी खाओ न!

    राजा बैठे झुले पर,
    झूला बोला चटर-पटर! चटर-पटर!
    राजा बैठे झुले पर,
    झूला बोला चटर-पटर! चटर-पटर!
    चटर-पटर! चटर-पटर!

  • नन्हे मुन्ने सैनिक हम

    नन्हे मुन्ने सैनिक हम

    बाल कविता
    बाल कविता


    पी-पी पी-पी डर-डर-डम,
    नन्हे मुन्ने सैनिक हम।
    छोटी-सी है फौज हमारी,
    पर उसमें है ताकत भारी।
    बड़ी-बड़ी फौजें झुक जाती,
    जब ये अपना जोर दिखाती।
    पी-पी पी-पी डर-डर-डम,
    नन्हे-मुन्ने सैनिक हम।

  • मां पर बाल कविता

    मां पर बाल कविता

    मां पर बाल कविता

    mother their kids
    बाल कविता

    अम्माँ करती कितना काम।
    चाहे सुबह हो चाहे शाम ॥
    कुछ न कुछ करती ही रहती।
    सारे घर का बोझा सहती ॥
    नहीं उसे मिलता आराम।
    अम्माँ करती कितना काम ॥
    हम भी थाड़ा काम करेंगे।
    अम्मा जी की मदद करेंगे।
    तब होंगे सब काम तमाम
    मिलेगा अम्माँ को आराम ॥

  • चुन्नू-मुन्नू दोनों भाई

    चुन्नू-मुन्नू दोनों भाई

    बाल कविता
    बाल कविता



    चुन्नु मुन्नु दोनों भाई,
    रसगुल्ले पर हुई लड़ाई।
    चुन्नू बोला मैं भी लूँगा
    मुन्नू बोला मैं भी लूँगा।
    इतने में ही दीदी आई,
    दीदी ने दो चपत लगाई।
    ऐसा झगड़ा कभी करना,
    दोनों मिलकर प्रेम से रहना।