by कविता बहार | Jul 23, 2021 | दिन विशेष कविता
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर कविता मत करो प्रकृति से खिलवाड़ हसदेव जंगल बदल गया है परिवेश हमारा ।दूषित हो रहा है अपना वातावरण । काट काट कर हरे पेड़ों को।क्यूं छीन रहे हरियाली का आवरण? अनगिनत इमारतें दिन पर दिन बन रही।फैक्ट्रियों के काले धुएं का लग रहा ग्रहण। चारों ओर...
by कविता बहार | Jul 22, 2021 | हिंदी कविता
खुद की तलाश _ तबरेज़ अहमद **ख़ुद कि तलाश से बेहतर**मुझे कोई तलाश नहीं दिखती।*दरिया के पास रहकर भी प्यासा रहता हूँ मैं।कितने खुदगर्ज़ है ज़माने में लोग।उन्हें मेरी प्यास नहीं दिखती।महफ़िल में बुलाकर मुझे,वो मेरे साथ ग़ैरों जैसा बर्ताव करती है।ना जाने क्यों उसे मेरे प्यार का...
by कविता बहार | Jul 21, 2021 | हिंदी कविता
ज़ज्बा–ए-वतन पीर दिलों की मिटा के , रोशन किया ज़ज्बा – ए – वतन मादरे वतन पर मर मिटने का ज़ज्बा सिखा गए | वतनफ़रोशी का ज़ज्बा थी , उनकी धरोहर वो राग जिन्दगी का सुनाकर चले गए | कर गए रोशन अपने देश पर, मर मिटने का ज़ज्बा वो गीत बन के दिल में समाते चले गये | अपने...
by कविता बहार | Jul 21, 2021 | हिंदी कविता
हिंदी साहित्य जगत में अनेक सितारे हैं हिंदी साहित्य जगत में , अनेक सितारे हैं कुछ टिमटिमाते तारे, कुछ सूर्य की तरह गरम अंगारे हैं | कुछ स्वयं को साहित्य जगत में , स्थापित कर पाते हैं कुछ गुमनामी के , अँधेरे में खो जाते हैं | कुछ तो पुराने सतित्याकारों को ही , साहित्य...
by कविता बहार | Jul 21, 2021 | हिंदी कविता
विश्व ही परिवार है- आर आर साहू ————— परिवार ————-ऐक्य अपनापन सुलभ सहकार है,इस धरा पर स्वर्ग वह परिवार है।मातृ,भगिनी, पितृ,भ्राता,रुप में,शक्ति-शिव आवास सा घर-द्वार है।बाँटते सुख-दुःख हिलमिल निष्कपट,है प्रथम कर्तव्य...