Author: कविता बहार

  • 13 अप्रैल जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस पर हिंदी कविता

    13 अप्रैल जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस पर हिंदी कविता

    13 अप्रैल जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस पर हिंदी कविता

    13 अप्रैल जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस पर हिंदी कविता
    13 अप्रैल जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस पर हिंदी कविता

    यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,
    काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।

    कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से,
    वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।

    परिमल-हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,
    हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।

    ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना,
    यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना।

    वायु चले, पर मंद चाल से उसे चलाना,
    दुःख की आहें संग उड़ा कर मत ले जाना।

    कोकिल गावें, किन्तु राग रोने का गावें,
    भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें।

    लाना संग में पुष्प, न हों वे अधिक सजीले,
    तो सुगंध भी मंद, ओस से कुछ कुछ गीले।

    किन्तु न तुम उपहार भाव आ कर दिखलाना,
    स्मृति में पूजा हेतु यहाँ थोड़े बिखराना।

    कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर,
    कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर।

    आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं,
    अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं।

    कुछ कलियाँ अधखिली यहाँ इसलिए चढ़ाना,
    कर के उनकी याद अश्रु के ओस बहाना।

    तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर,
    शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर।

    यह सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना,
    यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना।

    सुभद्राकुमारी चौहान

  • बस कर भगवन / शिवराज सिंह चौहान

    बस कर भगवन / शिवराज सिंह चौहान

    बस कर भगवन / शिवराज सिंह चौहान

    *लापरवाही इक बड़ी,*
                               *बनकर आई काल।*
    *पल में प्रलय हो गई,*
                              *छीने बाल गोपाल।।*

    लाड प्यार तैयार कर,
                                  देकर बस्ता, भोज।
    दादा दादी मात पिता,
                                    करते टाटा रोज।।
    किसको क्या ये था पता,
                             है आज कोई जंजाल …

    ड्राइवर ने था किया नशा,
                             या थी गति बड़ी तेज।
    या लापरवाही बनी,
                                बड़ी खून की सेज।।
    बस दुर्घटना खा गई,
                                   नन्हे नव निहाल…

    क्षत विक्षत सब शव पड़े,
                                  घायल लहू लुहान।
    बदहवास बच्चे हुए,
                                  भूल गए पहचान।।
    कोहराम है मच गया,
                                 देख रक्त के ताल …

    आश किसी की थी कोई,
                             किसी का था विश्वास।
    बरपा कहर कुटुंब पर,
                               बन गए जिंदा लाश।।
    काश कोई इस होनी को,
                                  भगवन देता टाल …

    ढीलेपन में भी कोई,
                               छोड़ी कसर न कोर।
    उंगली हर अब उठ रही,
                                 इक दूजे की ओर।।
    स्वयं बचाव में दूजे पर,
                                दोष रहे सब डाल …

    नन्ही दिवंगत आत्माएं,
                                   मांग रही इंसाफ।
    माफी का खाना नहीं,
                                बात सुनो ये साफ।।
    दोषी जो भी है यहां,
                               सजा मिले हर हाल …

    होनी थी सो हो गई,
                                      ए-परवर दीगार।
    चरण शरण में लो इन्हें,
                                दो हिम्मत परिवार।।
    किस्मत का ये खेल कहें,
                           या कहें वक्त की चाल …
    पल में प्रलय हो गई,
                                 छीने बाल गोपाल …

    ‌‌‌‌‌‌‌‌                    *:– शिवराज सिंह चौहान*
                                                    (प्राचार्य)
    शहीद जीतराम रा.आदर्श संस्कृति व.मा.वि.
                                              नाहड़़ रेवाड़ी
                                                (हरियाणा)

  • विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर एक कविता

    विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर एक कविता

    इस कविता के माध्यम से हम सभी विश्व रंगमंच दिवस के महत्व को समझते हैं और इस उत्सव के महत्व को मनाते हैं, जो संस्कृति, कला, और समाज को एकसाथ लाता है।

    विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर एक कविता

    विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर यहाँ एक कविता प्रस्तुत की जा रही है:

    विश्व रंगमंच के दीप सजाएं,
    गीत नृत्य से दिल बहलाएं।
    प्रतिभाओं को सम्मान दिलाएं ,
    हर जन भाषा को मान दिलाएं ।

    अभिनय से भावना व्यक्त हो,
    नयी दिशा में नयी सोच हो।
    छलांग भरें हर किरदार में ,
    रंगमंच पर अब कथा मस्त हो।

    नाटकों के हैं विविध रंग ,
    ताकत बन समाज हैं संग ।
    रंगमंच दुनिया की अलग उमंग ,
    विविध भाव और विविध ढंग।

    आओ मिलकर जश्न मनाएं,
    उत्साह उमंग का मन बनाएं।
    विश्व रंगमंच दिवस पर हम सभी,
    चलो नाचें और एक गीत गाएँ ।

  • होली में धूम मचायेंगे /डॉ रामबली मिश्र

    होली में धूम मचायेंगे /डॉ रामबली मिश्र

    होली में धूम मचायेंगे /डॉ0 रामबली मिश्र 

    होली में धूम मचायेंगे /डॉ रामबली मिश्र

    होली में धूम मचायेंगे,होली में।

    नित रंग डाल नहलायेंगे,होली में।।

    स्वागत होगा पिचकारी से।

    हँसी ठिठोली दिलदारी से।।

    मुँह में सबके रंग लगेगा।

    सबका मुखड़ा खूब खिलेगा।।

    होली में रस बरसायेंगेगे,होली में।

    भय भूत बने डरवायेंगे,होली में।।

    द्वार द्वार पर रंग गिरेगा।

    लाल गुलाबी सकल दिखेगा।।

    हर कोई मस्ती में झूमे।

    एक दूसरे का मुँह चूमे।।

    होली में ढोल बजायेंगे,होली में।

    हिय सबको नाच नचायेंगे,होली मे।।

    सबका तन मन रंगीला हो।

    अंग अंग काला पीला हो।।

    मादकता सबमें छा जाये।

    वृंदावन की शान बढ़ाये।।

    मथुरा की होली खेलेंगे,मथुरा में।

    शुभ प्रेमिल भाव उड़ेलेंगे,मधुरा में।।

     डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी उत्तर प्रदेश 

  • आत्म निर्भर भारत/हरि प्रकाश गुप्ता, सरल 

    आत्म निर्भर भारत/हरि प्रकाश गुप्ता, सरल 

    आत्म निर्भर भारत/हरि प्रकाश गुप्ता, सरल 

    आत्म निर्भर भारत/हरि प्रकाश गुप्ता, सरल 

    आओ मिलकर एक साथ सब

    ये सौगंध खायें।

    अपने भारत को हम आत्म निर्भर

    बनायें।।

    किसी चीज की कमी न हो

    हर चीज भारत में बनायें।

    खेती, वैज्ञानिक, औद्योगिक क्षेत्र,

    हर क्षेत्र में आगे आयें।।

    चीन से भी सबक सीख 

    हम सबसे आगे आयें।

    सुई से लेकर हवाई जहाज, मिसाइल

    सभी भारत में ही बनायें।।

    ऐसा आत्म निर्भर भारत बने

    बाहरी देशों से फिर न कुछ मगायें।

    भारत में ही रोजगार बढ़े

    न हम दूसरे देशों में जायें।।

    खेल कूद और सिनेमा ग्राफी में

    भी आत्म निर्भरता लायें।

    सही सही खेलने बालों हों चयनित

    ऐसा कुछ नियम बनायें।।

    भाई भतीजावाद से दूर रहें

    योग्यता के आधार पर आगे आयें।

    जिसकी जितनी योग्यता

    मंजिल उतनी अच्छी पायें।।

    न चिंता पाकिस्तान की और न

    डरें चीन बेइमान से।

    हिंदी चीनी भाई भाई कहकर

    छुरी घौंपे पीठ पीछे तान से।।

    ये सभी संभव होगा जब

     आत्म निर्भर भारत बनेगा शान से।

    सबसे पहले भ्रष्टाचार को

    जड़ से दूर भगायें।

    सबसे बड़े ये ही कदम

    पहले उठायें।।

    आओ मिलकर एक साथ सब

    ये सौगंध खायें।

    अपने भारत को हम आत्म निर्भर

    बनायें।।

    कृषि प्रधान देश है भारत 

    कृषि की तरक्की के उपाय खोजकर लायें।

    चाहे कोई भी सामग्री हो

    अपने भारत में बनायें।।

    हर हाथ रोजगार हो

    हर मजबूत बनायें साथ।

    देश की दौलत देश में

    बाहरी ताकतों के बिल्कुल

     न आये हाथ।।

    जब हर हाथ काम मिले तो

    होंगे आत्म निर्भर सभी

    देखे थे जो सपने शहीदों ने

    वो पूरे हों अभी

    आत्म निर्भर बनेगा भारत

    खुशियां बिखरेंगी चारों दिशायें।

    आत्म निर्भर भारत की  खुशबू से

    महकेंगी हवायें।।

    आओ मिलकर एक साथ सब

    ये सौगंध खायें।

    अपने भारत को हम आत्म निर्भर

    बनायें।।

    शिक्षा क्षेत्र में जोर लगाकर

    मजबूत इसे बनायें।

    सभी पढ़ाई-लिखाई करें 

      आत्म निर्भर भारत बनायें।

    बीमार होने पर भी विदेशों में न पड़े जाना

    अस्पताल सभी यहां सुविधाएं युक्त बनाये जायें।।

    आओ मिलकर एक साथ सब

    ये सौगंध खायें।

    अपने भारत को हम 

    आत्म निर्भर बनायें।।

    सभी के अधिकार समान रहें

    न कुछ भी मुफ्त में बांटा जाये।

    सभी को काम करने की आदत हो

    ऐसी राह बनायें।।

    एक एक बूंद से घरा भरता है

    बेकार न कुछ जाने पाये।

    सरकारी संपत्ति अपनी ही ही

    ये नष्ट होने न पाये।। 

    इसे सरकार तो सभाल रही

    संभालने इसे हम भी आगे आयें।।

    धोखा, बेईमानी और छल कपट को

    न अपना हथियार बनायें।।

    आत्म निर्भर भारत बनाने 

    हम सब कदम से कदम मिलायें।।

    जय हिन्द

    जय आत्म निर्भर भारत

    हरि प्रकाश गुप्ता *सरल *

    भिलाई छत्तीसगढ़