मेरा परिचय पर कविता -विनोद सिल्ला
चौबीस मई तारीख भई,
उन्नीस सौ सत्ततर सन।
सन्तरो देवी की कोख से
विनोद सिल्ला हुआ उत्पन्न।।
माणक राम दादा का लाडला,
उमेद सिंह सिल्ला का पूत।
भाटोल जाटान में पैदा हुआ,
क्रियाकलाप नाम अनुरूप।।
सन् उन्नीस सौ बानवे में ,
हो गया दसवीं पास।
सादा भोला स्वभाव है,
उन्नति करने की आस।।
कक्षा बारहवीं पास कर,
जे०बी०टी० में लिया प्रवेश।
मन में थी उत्कांक्षा,
कि करूंगा कुछ विशेष।।
तेईस फरवरी तारीख भई,
उन्नीस सौ निन्यानवे सन।
शिक्षक की मिली नौकरी,
सिल्ला परिवार हुआ प्रसन्न।।
बाईस मार्च तारीख भई,
सन था दो हज़ार चार।
विनोद सिल्ला दुल्हा बना,
बारात पहुँची हिसार।।
धर्म सिंह जी की सुपुत्री,
मीना रानी का मिला साथ।
जिसने महकाया जीवन वो,
ले के आई नई प्रभात।।
इक्कीस जुलाई तारीख भई,
दो हज़ार पांच था सन।
पुत्र रत्न के रूप में घर,
अनमोल सिंह हुआ उत्पन्न।।
बारह जून दो हज़ार सात को,
चली हवा बङी सुहानी।
विनोद सिल्ला के घर में,
जन्मी बेटी लाक्षा रानी।।
सात जनवरी तारीख भई,
दो हजार ग्यारह था सन।
एस एस मास्टर बन गया,
महका मन का उपवन।।
बीस अप्रेल तारीख भई,
दो हजार ग्यारह था सन।
मेरी धर्मपत्नी मीना रानी,
गई गणित अध्यापिका बन।।
-विनोद सिल्ला