मंद हवा तरु पात हिले, नचि लागत फागुन में सजनी। लाल महावर हाथ हिना, पद पायल साजत है बजनी। आय समीर बजे पतरा, झट पाँव बढ़े सजनी धरनी। बात कहूँ सजनी सपने, नित आवत साजन हैं रजनी।
फूल खिले भँवरा भ्रमरे, तब आय बसे सजना चित में। तीतर मोर पपीह सबै, जब बोलत बोल पिया हित में। फागुन आवन की कहते, पिव बाट निहार रही नित में। प्रीत सुरीति निभाइ नहीं, विरहा तन चैन परे कित में। .
भंग चढ़े बज चंग रही, . मन शूल उठे मचलावन को। होलि मचे हुलियार बढ़े, . तन रंग गुलाल लगावन को। नैन भरे जल बूँद ढरे, . पिक कूँजत प्रान जलावन को। आय मिलो अब मोहि पिया, . मन बाँट निहारत आवन को।
प्राण तजूँ परिवार तजूँ, . सब मान तजूँ हिय हारत हूँ। प्रीत करी फिर रीत घटी, . मन प्राण पिया अब आरत हूँ। आन मिलो सजना नत मैं, . विरहातप काय पजारत हूँ। मीत मिले अगले जनमों, . बस प्रीतम प्रीत सँभारत हूँ। . ???
मुझे कुछ ना सुझे भला एक बूंद में सौ प्यास कैसे बुझे ? तू मेरी ना सोच , जा किसी चोंच अमृत बन . मेरी यही नियति है कि तड़प मरूँ अति महत्वाकांक्षा में. अब जान पाया हूं कि उचित है सफर करना शून्य से शिखर तक. जीवन की ढलान होती है भयानक और उससे भी कटु मेरी ये अकड़ जो झुके तो भी ना टूटे . जो बचाया ना कभी एक बूंद उसके सूखे अधर को भला एक बूंद कैसे रूचे?
मैं कल भी अकेला था आज भी अकेला हूं और संघर्ष पथ पर हमेशा अकेला ही रहूंगा
मैं किसी धर्म का नहीं मैं किसी दल का नहीं सम्मुख आने से मेरे भयभीत होते सभी
जानते हैं सब मुझको परंतु स्वीकार करना चाहते नहीं मैं तो सबका हूं किंतु कोई मेरा नहीं
फिर भी मैं किसी से डरता नहीं ना कभी झुकता हूं ना कभी टूटता हूं याचना मैं करता नहीं संघर्षों से थकता नहीं
झुक जाते हैं लोचन सबके जब मैं नैन मिलाता हूं क्योंकि मैं सत्य हूं केवल सत्य हूं
बादलों द्वारा ढक जाने से गति सूर्य की रुकती नहीं कितनी भी हो विपरीत परिस्थितियां परंतु मेरी पराजय कभी होती नहीं
:- आलोक कौशिक
संक्षिप्त परिचय:-
नाम- आलोक कौशिक शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य) पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में दर्जनों रचनाएं प्रकाशित पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101, अणुडाक- [email protected]
होली चालीसा :-चालीसा हिंदू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा के लिए गायी जाने वाली प्रार्थना होती है। ये प्रार्थनाएँ विशेष रूप से उन देवी-देवताओं को समर्पित की जाती हैं जिन्हें मान्यता है कि उनकी शक्ति और कृपा से भक्तों की समस्त मांग पूरी होती है। चालीसा के पाठ के माध्यम से भक्त अपने मनोकामनाओं को पूरा करने, संतोष, शांति और धार्मिक संगति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। कुछ प्रमुख चालीसा श्री हनुमान चालीसा, श्री दुर्गा चालीसा, श्री लक्ष्मी चालीसा, श्री गणेश चालीसा, श्री शनिदेव चालीसा, श्री साईं बाबा चालीसा आदि हैं।