Author: कविता बहार

  • मैं तो हूं केवल अक्षर पर कविता

    अक्षर पर कविता

    मैं तो हूं केवल अक्षर
    तुम चाहो शब्दकोश बना दो

    लगता वीराना मुझको
    अब तो ये सारा शहर
    याद तू आये मुझको
    हर दिन आठों पहर

    जब चाहे छू ले साहिल
    वो लहर सरफ़रोश बना दो

    अगर दे साथ तू मेरा
    गाऊं मैं गीत झूम के
    बुझेगी प्यास तेरी भी
    प्यासे लबों को चूम के

    आयते पढ़ूं मैं इश्क़ की
    इस कदर मदहोश बना दो

    तेरा प्यार मेरे लिए
    है ठंढ़ी छांव की तरह
    पागल शहर में मुझको
    लगे तू गांव की तरह

    ख़ामोशी न समझे दुनिया
    मुझे समुंदर का ख़रोश बना दो

    :- आलोक कौशिक

  • फागुन माह पर दोहा -मदन सिंह शेखावत

    फागुन माह पर दोहा -मदन सिंह शेखावत

    फागुन मास सुहावना, उड़ती रंग गुलाल।
    खेले अपनी मौज मे,कुछ भी नही मलाल।।1

    फागुन आयो हे सखी, पिया बसे परदेश।
    कुछ भी अच्छा ना लगे,आये नही स्वदेश।।2

    फागुन के हुडदंग मे, बाजे डोल मृदंग।
    नाचे सब मद मस्त हो,मिल गई बहु उमंग।।3

    होली के त्यौहार मे , झूमे सब इटलाय।
    करते सभी धमाल अति,मन मे मौज मनाय।।4

    मौज शौक मे मन रही, होली फागुन मास।
    नही किसी से बैर है,हिल मिल रहते पास।।5

    मदन सिंह शेखावत ढोढसर स्वरचित

  • अलि पर कविता

    अलि पर कविता

    अलि पुष्प के पराग से,लेता है रससार।
    पुष्प पुष्प पर बैठता , करे सदा गुंजार।।


    अलि करता मधुमास में,फूलों का रसपान।
    कोयल मीठा गात है ,करती है गुण गान।।


    कली कली में बैठता,अलि करता मधुपान।
    मस्त मगन हो घूमता,गुन गुन करता गान।।


    अलि बैठा है डाल पर,ग्रहण करे मकरंद।
    नेह लुटाता फूल पर ,होय कमल में बंद।।


    डाली डाली बैठता, अलि है चित्त चकोर।
    पीकर रस मदमस्त हो,करता है फिर शोर।।

    ©डॉ एन के सेठी

  • पवित्र प्रेम पर कविता

    पवित्र प्रेम पर कविता

    14 फरवरी सेंट वेलेंटाइन दिवस( प्रेम दिवस ) 14 February St. Valentine's Day (Love Day)
    14 फरवरी सेंट वेलेंटाइन दिवस( प्रेम दिवस ) 14 February St. Valentine’s Day (Love Day)

    रचनाकार- बाँके बिहारी बरबीगहीया
    राज्य -बरबीघा बिहार (पुनेसरा )

    एक कपोत ने आकर हमसे
    कह डाले सब प्रेम की बात
    कुछ लिखो तुम स्वेत पत्र पे
    और लिखो कुछ अपनी याद
    मेरे गले में प्रेम पत्र दो
    उठो चलो तुम मेरे साथ
    प्रेम विरह में पागल है वो
    कटती नहीं उनसे अब रात
    व्यथित विकल वो तुम्हें पाने को
    कर लो उनसे तुम एक मुलाकात
    अंतरात्मा से जब तुम भी
    अपने प्रेम को चाहोगे
    तब जाके तुम्हें प्रेम मिलेगी
    और खुद की थाह लगाओगे ।।

    चितवन नयन से देखती हैं तुम्हें
    आँख में उसके रिमझिम सावन
    एक बार गर उसे तू मिल जाए
    फिर ना वो कभी रहे अपावन
    जन्म- जन्म से प्यासी संगिनी को
    अपने प्रेम से कर दो पावन
    पवित्र प्रेम करतीं है तुमसे
    तुम्हीं से है उसका अपनापन
    दिव्य प्रेम की जगमग ज्योति से
    तेरे मृदुल छवी को करे सुहावन
    प्रेम सरोवर में जब भी तुम
    आनंद हो गोता लगाओगे
    प्रेम रत्न लेकर निकलोगे
    और खुद मधुवन बन जाओगे।।

    अंतःकरण पावन हैं उनके
    तुम्हीं उसके जीवन आधार
    हर क्षण हर पल तुम्हें पुकारे
    हाथ में लेके एक गुलनार
    मधुर छवी मिठी मुस्कन लिए
    हर रोज करतीं तेरा दीदार
    प्रेमपुष्प वर्षाकर तुम पर
    करेंगी वो तेरा श्रृंगार
    हारिल कहे पवित्र प्रेम को
    अपनाकर कर लो अधिकार
    कलरव के इस प्रेम शब्द को
    जब तुम उसे सुनाओगे
    प्रेम सागर में उतर पड़ेगी
    संग तुम धन्य हो जाओगे ।।

    प्रेम सागर में कूद पड़ोगे।
    खुद को निश्छल तुम पाओगे।।

    बाँके बिहारी बरबीगहीया

  • मातृ पितृ पूजन दिवस पर कविता

    मातृ पितृ पूजन दिवस पर कविता

    मातृ पितृ पूजन दिवस पर कविता

    दिवस मातृ पितु ले मना, करिये सत संकल्प।
    ईश मान पितु मात को, छोड़ो सभी विकल्प।।

    घर में ही भगवान हैं, सच जीवन दातार।
    मात पिता को मान दें, करिये उनसे प्यार।।

    जन्म दिया है आपको, रखे गर्भ नौ मास।
    पाला मय अरमान के, मात पिता विश्वास।।

    पाल पोष पहचान दी, पढ़ा लिखा कर शान।
    खोया निज को आप में, उनका रखो गुमान।।

    जीवन संतति हित जिए, छोड़ स्वयं अरमान।
    अब उनका विश्वास बन, मात पिता भगवान।।

    शर्मा बाबू लाल कहि, दोहा लिख कर षष्ट।
    विनय आपसे, हो नही, मात पिता को कष्ट।।
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    ✍©
    बाबू लाल शर्मा बौहरा
    सिकंदरा दौसा राजस्थान
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