डाँ. आदेश कमार पंकज के दोहे
डाँ. आदेश कमार पंकज के दोहे पाई पाई जोड़ के बना खूब धनवान । संस्कार नहीं जानता कैसा तू नादान ।। करता लूट खसोट है वा रे वा इन्सान । लालच में है घूमता बिगड़ गई सन्तान ।। क्यों तू लालच कर रहा करता फिरता पाप । सोने सा अनमोल तन बना रहा अभिशाप ।। … Read more