भोजपुरी पर्यावरण लोक गीत -जून दुपहरिया में

summer sea

जून दुपहरिया में जून दुपहरिया मे देहिया जरेला |सूखल होठवा पियासिया लगेला | सुना मोरे सइया |कईसे बीतिहे गरमिया के दिनवा हमार |सुना मोरे सइया | पेड़वा का छांव नाही ,चले केवनों उपाय नाही |टप-टप चुवेला पसीनवा चैन कही आय नाही |सुना मोरे सइया |ले आई देता एसी कूलर घरवा हमार |सुना मोरे सइया | गउआ … Read more

मैं रीढ़ सा जुडा इस धरा से

मैं रीढ़ सा जुडा इस धरा से मैं रीढ़ सा जुडा इस धरा से,। मैं मरुं नित असहनीय पीडा से, मैं गुजरता नित कठिन परिस्थितियों से, मेरी सुंदरता कोमल शाखाओं से,उमर से पहले ही रहता मानव, मुझे काटने को तैयार, पल भर में करता अपाहिज और लाचार, पीपल, बरगद, नीम और सालकाट दिए मेरे अनगिनत साथी विशाल, शैतानी मानव कर रहा, अपना रेगिस्तानी … Read more

इश्क़ के रोग की गर तू जो दवा बन जाए

इश्क़ के रोग की गर तू जो दवा बन जाए । रात दिन भीगते है बिन तेरे मेरे नैनाबिन तेरे मिलता नही मुझको अब कही चैनाहर घड़ी याद की भरी स्याहीमुझको तड़पाने रात ले आईंतू जो बारिश की तरह आके मुझे मिल जाए,बादलों की तरह ये दर्द हवा हो जाये ।। इश्क़ के रोग की … Read more

सुलगता हुआ शहर देखता हूँ

सुलगता हुआ शहर देखता हूँ   इधर भी उधर भी जिधर देखता हूँ,सुलगता हुआ हर शहर देखता हूँ, कहीं लड़ रहे हैं कहीं मर रहे हैं,झगड़ता हुआ हर नगर देखता हूँ, कहीं आग में जल न जाए यहाँ सब,झुलसता हुआ हर बसर देखता हूँ, सियासत बहुत है घिनौना यहाँ पर,छिड़कता हुआ अब जहर देखता हूँ, … Read more

माँ गंगा का अवतरण दिवस

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। माँ गंगा का अवतरण दिवस अवतरण दिवस माँ गंगा का दशमी  तिथि थी जेष्ठ मास इसके पावन तट पर मनुज ने किया  … Read more