कल्पना शक्ति पर कविता
कल्पना शक्ति बनाम मन की अभिव्यक्ति! भावावेश में आकर,कल्पनाओं के देश में जाकर,अक्सर बहक जाता हूं, खुद को पंछी सा समझ कर,उड़ता हूं, उन्मुक्त गगन में,खुशी से, चहक जाता हूं!यह मेरे, मन की, भड़ास हैया कि छिछोरा पागलपन,क्या कुछ है, मुझे नहीं पता,लगता है जैसे कि, कच्चा कोयला हूं,जब तब, अंगार लगती है तो,जलता है … Read more