झण्डा दिवस पर कविता
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा
● रामदयाल पाण्डेय
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा, ऊंचा सदा रहेगा।
हिंद देश का प्यारा झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
तूफानों से और बादलों से भी नहीं झुकेगा,
नहीं झुकेगा, नहीं झुकेगा, झण्डा नहीं झुकेगा।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
केसरिया बल भरने वाला, सादा है सच्चाई,
हरा रंग है हरी हमारी धरती की अंगड़ाई ।
और चक्र कहता कि हमारा, कदम कभी न रुकेगा ।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
शान हमारी ये झण्डा है, ये अरमान हमारा,
ये बल पौरुष है सदियों का, ये बलिदान हमारा।
जीवन-दीप बनेगा, ये अंधियारा दूर करेगा ।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
आसमान में लहराएं ये, बादल में लहराएं,
जहां-जहां, जाए ये झण्डा ये सन्देश सुनाएं।
है आजाद हिंद, ये दुनिया को आजाद करेगा।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
नहीं चाहते हम दुनिया को, अपना दास बनाना,
नहीं चाहते औरों के मुंह की रोटी खा जाना ।
सत्य-न्याय के लिए हमारा लहू सदा बहेगा।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
हम कितने सुख सपने लेकर, इसको फहराते हैं,
इस झण्डे पर मर मिटने की, कसम सभी खाते हैं।
हिन्द देश का है ये झण्डा, घर-घर में लहरेगा।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
झण्डा वंदन
एक हमारा ऊँचा झण्डा, एक हमारा देश !
इस झण्डे के नीचे निश्चित एक अमिट उद्देश्य !
हमारा एक अमिट उद्देश्य ।
देखा जागृति के प्रभात में एक स्वतंत्र प्रकाश,
फैला है सब ओर एक-सा अतुल उल्लास |
कोटि-कोटि कंठों से कूजित एक विजय- विश्वास,
मुक्त पवन में उड़ उठने की एक अमर अभिलाषा ।
सबका सुहित, सुमंगल सबका, नहीं वैर-विद्वेष,
एक हमारा ऊँचा झण्डा, एक हमारा देश ॥
कितने वीरों ने कर-करके प्राणों का बलिदान,
मरते-मरते भी गाया है इस झण्डे का गान ।
रक्खेंगे ऊँचे उठ हम भी अक्षय इसकी आन,
चक्खेंगे इसकी छाया में रस-विष एक समान ।
एक हमारी सुख-सुविधा है, एक हमारा क्लेश,
एक हमारा ऊँचा झण्डा, एक हमारा देश ।।
मातृभूमि की मानवता का जागृत जय-जयकार,
फहर उठे ऊँचे से ऊँचा यह अविरोध उदार ।
साहस, अभय और पौरुष का यह अजीब संचार,
लहर उठें जन-जन के मन में सत्य-अहिंसा-प्यार ।
अगणित धाराओं का संगम मिलन-तीर्थ संदेश,
एक हमारा ऊँचा झण्डा, एक हमारा देश ॥
सुनें सब – – एक हमारा देश ।’
झण्डा ऊँचा रहें हमारा
● श्यामलाल गुप्त पार्षद
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
झण्डा ऊँचा रहें हमारा
सदा शक्ति दरसाने वाला
प्रेम सुधा बरसाने वाला
वीरों को हरषाने वाला
मातृभूमि का तन-मन सारा ।
झण्डा ऊँचा रहें हमारा ॥
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लख कर जोश बढ़े क्षण-क्षण में ।
काँपें शत्रु देख कर मन में,
मिट जाएं भय संकट सारा ।
झण्डा ऊँचा रहें हमारा ॥
इसकी शान न जाने पावें
चाहे जान भले ही जावें
विश्व विजय करके दिखलावें
तब होवें प्रण पूर्ण हमारा।
झण्डा ऊँचा रहें हमारा ॥
आओ प्यारे वीरों आओ
देश धरम पर बलि – बलि जाओ
एक साथ सब मिलकर गाओ
प्यारा भारत देश हमारा।
झण्डा ऊँचा रहे हमारा ||.
जय राष्ट्रीय निशान
जय राष्ट्रीय निशान !
जय राष्ट्रीय निशान !
जय राष्ट्रीय निशान !
लहर-लहर तू मलय पवन में,
फहर-फहर तू नीलगगन में,
छहर-छहर जग के आँगन में,
सबसे उच्च महान् !
सबसे उच्च महान् !
जय राष्ट्रीय निशान |
बढ़े शूरवीरों की टोली,
खेलें आज मरण की होली,
बूढ़े और जवान !
बूढ़े और जवान !
जय राष्ट्रीय निशान !
मन में दीन-दुखी की ममता,
हममें हो मरने की क्षमता,
मानव-मानव में हो समता,
धनी गरीब समान !
गूँजें नभ में तान !
जय राष्ट्रीय निशान !
तेरा मेरुदण्ड ही कर में,
स्वतंत्रता के महासमर में,
वज्रशक्ति बन व्यापें उर में,
दे दें जीवन-प्राण !
दे दें जीवन-प्राण !
जय राष्ट्रीय निशान |.
जय हे राष्ट्र निशान |.
० श्री हरि
जय, जय, जय हे अमर तिरंगे, जय हे राष्ट्र-निशान !
‘सन् सत्तावन’ की अंगड़ाई,
‘नौ अगस्त’ की तू तरुणाई,
तुझमें कोटि-कोटि वीरों का प्रतिबिम्बित बलिदान ।
मूर्त शक्ति तू मूर्त त्याग तू,
विश्वशान्ति का अमर राग तू,
तुझमें कोटि-कोटि प्राणों के गुम्फित हैं अरमान।
दिशि दिशि में अवनी अम्बर पर,
तू अपनी आभा प्रसरित कर,
पारतन्त्र्य-तम चीर ला रहा है स्वातन्त्र्य-विहान ।
ज्वालाओं में जलते मन-सा,
तप-तप कर निखरा कंचन-सा,
तुझ पर सौ-सौ बार निछावर सारा हिन्दुस्तान ।
विश्व – विजय करने की क्षमता,
बने सदा मानव की ममता,
तेरे तार-तार में मुखरित, मानवता के गान।
हम निज तन देंगे, मन देंगे,
तेरे हित जीवन दे देंगे,
प्राण गंवाकर भी रख लेंगे, हम तेरा सम्मान।
शीश कटें, घर-द्वार छिनें
शीश करें, घर-द्वार छिनें,
औ’ उजड़ें चाह भारत सारा ।
लाठी चलें, गोलियाँ बरसें,
प्रलय मचें, भर जावें कारा ॥
वज्र गिरें, तलवारें चमकें,
चाहे बहे रक्त की धारा ।
झुकें नहीं यह ध्वजा, गगन में
चमकें बनकर शक्ति-सितारा ॥
जो इसकी छाया में आवें,
महाकाल से भी भिड़ जावें ।
तुंग हिमालय से भारत के,
महासिंधु तक यह फहरावें ।
सागर पर हो राज हमारा,
अंबर पर अधिकार हमारा ।
वायुयान और जलयानों पर,
लहराएं यह तिरंगा प्यारा ॥
नव-प्रभात हो, भारत भर में,
हो ऐसा अनुपम उजियारा।
अंधकार मिट जाएं, मुक्ति के
गीतों से गूँजें नभ सारा ॥
भारत के कोने-कोने में,
झंडा फहरे आज हमारा।
उठ जाएं तूफान देश में,
कर दें जिस दिन एक इशारा ॥
नगाधिराज शृंग पर
नगाधिराज शृंग पर खड़ी हुई,
समुद्र की तरंग पर अड़ी हुई,
स्वदेश में जगह-जगह गड़ी हुई,
अटल ध्वजा हरी, सफेद, केशरी !
न साम-दाम के समक्ष यह रुकी,
न दंड-भेद के समक्ष यह झुकी,
सगर्व आज शत्रु- शीश पर ठुकी,
निडर ध्वजा हरी, सफेद, केशरी !
चलो, उसे सलाम आज सब करें,
चलो, उसे प्रणाम आज सब करें,
अमर सदा इसे लिये
अजय ध्वजा
हुए हरी, सफेद, केशरी !
राष्ट्र-ध्वज तना रहे
● ताराचन्द पाल ‘बेकल’
ज्योति नग बना रहे।
राष्ट्रध्वज तना रहे ॥
वीर हर जवान हो,
सिंह के समान हो,
कार्यक्रम- देश के,
देश के संदेश के,
हो सफल प्रत्येक पल,
राष्ट्र कार्य में अटल,
चेतना नवीन हो,
हर कोई प्रवीण हो,
वक्ष तान-तान कर,
वायु समान स्वर,
जय कहें स्वदेश की,
देश के संदेश की,
सत्य पथ प्रयाण हो,
भव्य भावना रहे।
ज्योति नग बना रहे।
राष्ट्र-ध्वज तना रहे ॥
कर्म के संकेत पर,
छाए खेत-खेत पर,
शस्य की विभा नयी,
स्वर्ण-सी प्रभा नयी,
प्राण में पुलक भरे,
एक नव झलक भरे,
मंजिलों के गीत हों,
प्रेरणा-संगीत हो,
शान से बड़े चलो,
गिरि-शिखर चढ़े चलो,
काफिला रुके नहीं,
और ध्वज झुके नहीं,
शक्ति-साधना रहे।
नव्य कामना रहे॥
ज्योति-नग बना रहे।
राष्ट्र-ध्वज तना रहे ॥
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा
रामदयाल पाण्डेय
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा, ऊंचा सदा रहेगा।
हिंद देश का प्यारा झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
तूफानों से और बादलों से भी नहीं झुकेगा,
नहीं झुकेगा, नहीं झुकेगा, झण्डा नहीं झुकेगा।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
केसरिया बल भरने वाला, सादा है सच्चाई,
हरा रंग है हरी हमारी धरती की अंगड़ाई ।
और चक्र कहता कि हमारा, कदम कभी न रुकेगा ।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
शान हमारी ये झण्डा है, ये अरमान हमारा,
ये बल पौरुष है सदियों का, ये बलिदान हमारा।
जीवन-दीप बनेगा, ये अंधियारा दूर करेगा।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
आसमान में लहराएं ये, बादल में लहराएं,
जहां-जहां, जाए ये झण्डा ये सन्देश सुनाएं।
है आजाद हिंद, ये दुनिया को आजाद करेगा।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
नहीं चाहते हम दुनिया को, अपना दास बनाना,
नहीं चाहते औरों के मुंह की रोटी खा जाना ।
सत्य-न्याय के लिए हमारा लहू सदा बहेगा।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
हम कितने सुख सपने लेकर, इसको फहराते हैं,
इस झण्डे पर मर मिटने की, कसम सभी खाते हैं।
हिन्द देश का है ये झण्डा, घर-घर में लहरेगा।
झण्डा ऊंचा सदा रहेगा।
झण्डा वंदन
एक हमारा ऊँचा झण्डा, एक हमारा देश !
इस झण्डे के नीचे निश्चित एक अमिट उद्देश्य !
हमारा एक अमिट उद्देश्य ।
देखा जागृति के प्रभात में एक स्वतंत्र प्रकाश,
फैला है सब ओर एक-सा अतुल उल्लास ।
कोटि-कोटि कंठों से कूजित एक विजय – विश्वास,
मुक्त पवन में उड़ उठने की एक अमर अभिलाषा ।
सबका सुहित, सुमंगल सबका, नहीं वैर-विद्वेष,
एक हमारा ऊँचा झण्डा, एक हमारा देश ।।
कितने वीरों ने कर-करके प्राणों का बलिदान,
मरते-मरते भी गाया है इस झण्डे का गान ।
रक्खेंगे ऊँचे उठ हम भी अक्षय इसकी आन,
चक्खेंगे इसकी छाया में रस-विष एक समान ।
एक हमारी सुख-सुविधा है, एक हमारा क्लेश,
एक हमारा ऊँचा झण्डा, एक हमारा देश ॥
मातृभूमि की मानवता का जागृत जय-जयकार,
फहर उठे ऊँचे से ऊँचा यह अविरोध उदार ।
साहस, अभय और पौरुष का यह अजीब संचार,
लहर उठें जन-जन के मन में सत्य-अहिंसा प्यार ।
अगणित धाराओं का संगम मिलन – तीर्थ- संदेश,
एक हमारा ऊँचा झण्डा, एक हमारा देश ||
सुनें सब- एक हमारा देश ।’
झण्डा ऊँचा रहें हमारा
श्यामलाल गुप्त पार्षद
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
झण्डा ऊँचा रहें हमारा
सदा शक्ति दरसाने वाला
प्रेम सुधा बरसाने वाला
वीरों को हरषाने वाला
मातृभूमि का तन-मन सारा ।
झण्डा ऊँचा रहे हमारा ॥
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लख कर जोश बढ़े क्षण-क्षण में ।
काँपें शत्रु देख कर मन में,
मिट जाएं भय संकट सारा ।
झण्डा ऊँचा रहें हमारा ॥
इसकी शान न जाने पावें
चाहे जान भले ही जावें
विश्व विजय करके दिखलावें
तब होवें प्रण पूर्ण हमारा।
झण्डा ऊँचा रहे हमारा ॥
आओ प्यारे वीरों आओ
देश धरम पर बलि – बलि जाओ
एक साथ सब मिलकर गाओ
प्यारा भारत देश हमारा।
झण्डा ऊँचा रहें हमारा ॥
जय राष्ट्रीय निशान
जय राष्ट्रीय निशान !
जय राष्ट्रीय निशान !
जय राष्ट्रीय निशान !
लहर-लहर तू मलय पवन में,
फहर- फहर तू नीलगगन में,
छहर-छहर जग के आँगन में,
सबसे उच्च महान् !
सबसे उच्च महान् !
जय राष्ट्रीय निशान !
बढ़े शूरवीरों की टोली,
खेलें आज मरण की होली,
बूढ़े और जवान !
बूढ़े और जवान !
जय राष्ट्रीय निशान !
मन में दीन-दुखी की ममता,
हममें हो मरने की क्षमता,
मानव-मानव में हो समता,
धनी गरीब समान !
गूँजें नभ में तान !
जय राष्ट्रीय निशान !
तेरा मेरुदण्ड ही कर में,
स्वतंत्रता के महासमर में,
वज्रशक्ति बन व्यापें उर में,
दे दें जीवन प्राण !
दे दें जीवन प्राण !
जय राष्ट्रीय निशान ।
जय हे राष्ट्र- निशान !
श्री हरि
जय, जय, जय हे अमर तिरंगे, जय हे राष्ट्र-निशान !
‘सन् सत्तावन’ की अंगड़ाई,
‘नौ अगस्त’ की तू तरुणाई,
तुझमें कोटि-कोटि वीरों का प्रतिबिम्बित बलिदान ।
मूर्त शक्ति तू मूर्त त्याग तू,
विश्वशान्ति का अमर राग तू,
तुझमें कोटि-कोटि प्राणों के गुम्फित हैं अरमान ।
दिशि दिशि में अवनी अम्बर पर,
तू अपनी आभा प्रसरित कर,
पारतन्त्र्य-तम चीर ला रहा है स्वातन्त्र्य – विहान ।
ज्वालाओं में जलते मन-सा,
तप तप कर निखरा कंचन-सा,
तुझ पर सौ-सौ बार निछावर सारा हिन्दुस्तान ।
विश्व – विजय करने की क्षमता,
बने सदा मानव की ममता,
तेरे तार-तार में मुखरित, मानवता के गान।
हम निज तन देंगे, मन देंगे,
तेरे हित जीवन दे देंगे,
प्राण गंवाकर भी रख लेंगे, हम तेरा सम्मान।
शीश कटें, घर-द्वार छिनें
हरिकृष्ण प्रेमी
शीश करें, घर-द्वार छिर्ने,
औ’ उजड़ें चाह भारत सारा।
लाठी चलें, गोलियाँ बरसें,
प्रलय मर्चे, भर जावें कारा ॥
वज्र गिरें, तलवारें चमकें,
चाहे बहे रक्त की धारा ।
झुकें नहीं यह ध्वजा, गगन में
चमकें बनकर शक्ति-सितारा ॥
जो इसकी छाया में आवें,
महाकाल से भी भिड़ जावें ।
तुंग हिमालय से भारत के,
महासिंधु तक यह फहरावें ॥।
सागर पर हो राज हमारा,
अंबर पर अधिकार हमारा।
वायुयान और जलयानों पर,
लहराएं यह तिरंगा प्यारा ॥
नव-प्रभात हो, भारत भर में,
हो ऐसा अनुपम उजियारा ।
अंधकार मिट जाएं, मुक्ति के
गीतों से गूँजें नभ सारा ॥
भारत के कोने-कोने में,
झंडा फहरे आज हमारा।
उठ जाएं तूफान देश में,
कर दें जिस दिन एक इशारा ॥
नगाधिराज शृंग पर
हरिवंशराय ‘बच्चन’
नगाधिराज श्रृंग पर खड़ी हुई,
समुद्र की तरंग पर अड़ी हुई,
स्वदेश में जगह-जगह गड़ी हुई,
अटल ध्वजा
हरी, सफेद, केशरी !
न साम-दाम के समक्ष यह रुकी,
न दंड-भेद के समक्ष यह झुकी,
सगर्व आज शत्रु- शीश पर ठुकी,
निडर ध्वजा
हरी, सफेद, केशरी !
चलो, उसे सलाम आज सब करें,
चलो, उसे प्रणाम आज सब करें,
अमर सदा इसे लिये हुए मरें,
अजय ध्वजा हरी, सफेद, केशरी !
राष्ट्र-ध्वज तना रहे
ताराचन्द पाल ‘बेकल’
ज्योति नग बना रहे।
राष्ट्र-ध्वज तना रहे।
वीर हर जवान हो,
सिंह के समान हो,
कार्यक्रम देश के,
देश के संदेश के,
हो सफल प्रत्येक पल,
राष्ट्र कार्य में अटल,
चेतना नवीन हो,
हर कोई प्रवीण हो,
वक्ष तान-तान कर,
वायु के समान स्वर,
जय कहें स्वदेश की,
देश के संदेश की,
सत्य पथ प्रयाण हो,
भव्य भावना रहे।
ज्योति – नग बना रहे।
राष्ट्र-ध्वज तना रहे ।
कर्म के संकेत पर,
छाए खेत-खेत पर,
शस्य की विभा नयी,
स्वर्ण-सी प्रभा नयी,
प्राण में पुलक भरे,
एक नव झलक भरे,
मंजिलों के गीत हों,
प्रेरणा-संगीत हो,
शान से बड़े चलो,
गिरि – शिखर चढ़े चलो,
काफिला रुके नहीं,
और ध्वज झुके नहीं,
शक्ति-साधना रहे।
नव्य कामना रहे ।
ज्योति- -नग बना रहे।
राष्ट्र ध्वज तना रहे ।