शीत ऋतु पर ताँका

शीत ऋतु पर ताँका {01}ऋतु हेमंत नहला गई ओसधरा का मनतन बदन गीलेहाड़ों में ठिठुरन । {02}लाए हेमंत दांतों में किटकिटहाड़ों में कंपसर्द सजी सुबह कोहरा भरी शाम । {03}हेमंत साथकिटकिटाए दाँत झुग्गी में रात ढूँढ रहे अलाव काँपते हुए हाथ । □ प्रदीप कुमार दाश...

मन पर कविता

मन पर कविता सोचा कुछहो जाता कुछ हैमन के ही सब सोचमन को बांध सका न कोईमन खोजे सब कोय।।⭕हल्के मन से काम करो तोसफल रहे वो कामबाधा अगर कोई आ जायेबाधित हो हर काम।।⭕मन गिरे तन मुरझायेवैद्य काम नही आयेगाँठे मन गर कोई खोलेसच्चा गुरु वो कहाये।।⭕मन के ही उद्गम स्रोत सेउपजे सुख...

तोता पर कविता

तोता पर कविता ना पंख है ना पिंजरे में कैद,फिर भी है तोता ।खाता है पीता है,रहता है स्वतंत्र,हमेशा एक गीत है गाता नेता जी की जय हो। कर लिया बसेराबगल की कुर्सी पर,खाने को जो है मिलतामुफ्त का भोजन,टूट पड़ता है बेझिझकगजब का तोता। मानक...
अवि के हाइकु

अवि के हाइकु

अवि के हाइकु जीवन पथप्रेम और संघर्षदुलारा बेटा मनमोहनबलिहारि जाँऊ मैंतेरी मुस्कान मां हूँ मैंलड़ूंगी भूख से मैंये अग्निपथ समर्पित हैतुझ पे ये जीवनराज दुलारा ©अविअविनाश तिवारीजांजगीर...