Category हिंदी कविता

संगीत और जीवन -बिसेन कुमार यादव’बिसु

आना है, और चलें जाना है!जीवन का रीत पुराना है!! जीवन का नहीं ठिकाना है!जन्म लिया तो मर जाना है!! गाना है और बजना है!जीवन एक तराना है!! संगीत को मीत बनाओ!शब्दों को गीत बनाओ!! सा,रे,गा,मा,पा,धा नि,से,जीवन में राग बना!…

जुगाड़ पर कविता – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

इस रचना को व्यंग्य के रूप में पेश किया गया है | समाज में चल रहीं अनैतिक परम्पराओं पर कुठाराघात करने की एक कोशिश रचनाकार ने की है |
जुगाड़ - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम "

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पर्यावरण और मानव/ अशोक शर्मा

पर्यावरण और मानव/ अशोक शर्मा धरा का श्रृंगार देता, चारो ओर पाया जाता,इसकी आगोश में ही, दुनिया ये रहती।धूप छाँव जल नमीं, वायु वृक्ष और जमीं,जीव सहभागिता को, पर्यावरण कहती। पर देखो मूढ़ बुद्धि, नही रही नर सुधि,काट दिए वृक्ष…

क्यों काट रहे हो जंगल -बिसेन कुमार यादव’बिसु’ (वन बचाओ आधारित कविता)

क्यों काट रहे हो जंगल (वन बचाओ आधारित कविता) क्यों कर रहे हो अहित अमंगल!क्यों काट रहे हो तुम जंगल!! धरती की हरियाली को तूने लूटा!बताओ कितने जंगल को तूने काटा!! वनों में अब न गुलमोहर न गूलर खड़ी है!हरी-भरी…

सम्भल जाओ आज से- प्रिया सिंह

सम्भल जाओ आज से- प्रिया सिंह भारत वर्ष की बेटी हूं, समझ गई अपना अधिकार ।अन्याय नहीं सहन करेंगे, अब मेरी भी वाणी में धार।अब चाहोगे तुम रोकना हमें , अपने आदतन अंदाज से।पर रोकने वाले!  खुद रुक जाओ, सम्भल…

cycle

03 जून विश्व साइकिल दिवस पर दोहे

03 जून विश्व साइकिल दिवस पर दोहे पाँवगाड़ी साइकिल साधन एक है,सस्ता और आसान।जिसकी मर्जी वो चले, चल दे सीना तान।। बचपन साथी संग चढ़, बैठे मौज उड़ाय।धक्का दें साथी गिरे त, उसको खूब चिड़ाय।। आगे पीछे बीच में, तीन…

तिल-तिल कर हम जलना सीखें

तिल-तिल कर हम जलना सीखें जीवन दीप वर्तिका तन की, स्नेह हृदय में भरना सीखें।दानवता का तिमिर हटाने, तिल-तिल कर हम जलना सीखें। अमा निशासी घोर निशा हो, अन्धकारमय दसों दिशा हों।झंझा के झोंके हों प्रतिपल, फिर भी अविचल चलना…

मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे

मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे।   कटेंगे वृक्ष , जंगल में तो, कैसे होगा विश्व में मंगल, बढ़ती जनसंख्या से हो रहा, जब संसार में मानव – दंगल। पर्यावरण समस्या को सुलझाऐंगे, मानवता के खातिर अब वृक्ष लगाऐंगे। मधुमक्खियों का…

थाम लो सँभालकर देश की मशाल को

थाम लो सँभालकर देश की मशाल को हिन्द के बहादुरो शूरवीर बालको!थाम लो सँभाल कर देश की मशाल को! अन्धकार का गरूर आन-बान तोड़ दो,बालको, भविष्य के लिए मिसाल छोड़ दो,दो नयी-नयी दिशा वर्तमान काल को।थाम लो सँभाल कर देश…