Category हिंदी कविता

मेरी अभिलाषा है -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी

मेरी अभिलाषा है -द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी सूरज-सा दमकूँ मैंचंदा-सा चमकूँ मैंझलमल-झलमल उज्ज्वलतारों-सा दमकूँ मैंमेरी अभिलाषा है। फूलों-सा महकूँ मैंविहगों-सा चहकूँ मैंगुंजित कर वन-उपवनकोयल-सा कुहकूँ मैंमेरी अभिलाषा है। नभ से निर्मलता लूँशशि से शीतलता लूँधरती से सहनशक्तिपर्वत से दृढ़ता लूँमेरी अभिलाषा है।…

सबसे अच्छी सखा किताबें – डीजेन्द्र कुर्रे

यह विभिन्न श्रेणियों के अर्न्तगत हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओँ एवं ब्रेल लिपि में पुस्तकें प्रकाशित करता है। यह हर दूसरे वर्ष नई दिल्ली में ‘विश्व पुस्तक मेले’ का आयोजन करता है, जो एशिया और अफ्रीका का सबसे बड़ा पुस्तक मेला है। यह प्रतिवर्ष…

विश्व पुस्तक दिवस पर दोहे

यह विभिन्न श्रेणियों के अर्न्तगत हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओँ एवं ब्रेल लिपि में पुस्तकें प्रकाशित करता है। यह हर दूसरे वर्ष नई दिल्ली में ‘विश्व पुस्तक मेले’ का आयोजन करता है, जो एशिया और अफ्रीका का सबसे बड़ा पुस्तक मेला है। यह प्रतिवर्ष…

हम भी दीवाने और तुम भी दीवाने

हम भी दीवाने और तुम भी दीवाने इश्क में हो गये हम दीवानेइश्क में हो गये हम वीरानेइश्क में दौलत क्या है ?इसमें लुट गये सारे खजानेइश्क में हो गये हम दीवानेहम भी दीवाने और तुम भी दीवाने।। शीरीं भी…

जिंदगी में बहुत काम आती है यह छत

जिंदगी में बहुत काम आती है यह छत नीचे होता हूँ तो साया बनके सुलाती हैयह छत।ऊपर होता हूँ तो खुले आसमां की सैरकराती है यह छत।नीचे होता हूँ तो छाँव बन जाती है यह छतऊपर चढ़ जाऊँ तो जमीं…

Jai Sri Ram kavitabahar

जननायक राम / श्रीमती ज्योत्स्ना मीणा

श्री रामनवमी के अवसर पर यह रचना मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के प्रति जन जन की आस्था को समर्पित है।

रचना विधा - कविता
शीर्षक - जननायक राम
रचयिता - श्रीमती ज्योत्स्ना मीणा

आज जिंदगी बेमानी हो गई है – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस कविता में वर्तमान सामाजिक परिदृश्य को समाहित किया गया है |
आज जिंदगी बेमानी हो गई है - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

हर एक दिन को नए वर्ष की – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस कविता में जीवन के हर एक क्षण को नव वर्ष की तरह उत्सव के रूप में मनाने पर जोर दिया गया है |
हर एक दिन को नए वर्ष की - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

धरती माँ तुम पावन थीं – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस कविता में धरती की पावनता को बनाए रखने के लिए प्रेरित करने का एक प्रयास किया गया है |
धरती माँ तुम पावन थीं - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

गणेश वंदना – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना में गणेश जी की वंदना की गयी है |
गणेश वंदना - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"