मै भी एक पेड़ हूं मत काटो
मै भी एक पेड़ हूं मत काटो (१)गली गली में मै हूं, छाया तुम्हे देता हूं।खेतों की पार में हूं, वर्षा भी कराता हूं।शीतल हवा देता हूं ,चुपचाप मै रहता हूं।देखो भाई मत काटो,मै भी एक पेड़ हूं।। …
मै भी एक पेड़ हूं मत काटो (१)गली गली में मै हूं, छाया तुम्हे देता हूं।खेतों की पार में हूं, वर्षा भी कराता हूं।शीतल हवा देता हूं ,चुपचाप मै रहता हूं।देखो भाई मत काटो,मै भी एक पेड़ हूं।। …
जून दुपहरिया में जून दुपहरिया मे देहिया जरेला |सूखल होठवा पियासिया लगेला | सुना मोरे सइया |कईसे बीतिहे गरमिया के दिनवा हमार |सुना मोरे सइया | पेड़वा का छांव नाही ,चले केवनों उपाय नाही |टप-टप चुवेला पसीनवा चैन कही आय नाही…
मैं रीढ़ सा जुडा इस धरा से मैं रीढ़ सा जुडा इस धरा से,। मैं मरुं नित असहनीय पीडा से, मैं गुजरता नित कठिन परिस्थितियों से, मेरी सुंदरता कोमल शाखाओं से,उमर से पहले ही रहता मानव, मुझे काटने को तैयार, पल भर में करता अपाहिज…
सुलगता हुआ शहर देखता हूँ इधर भी उधर भी जिधर देखता हूँ,सुलगता हुआ हर शहर देखता हूँ, कहीं लड़ रहे हैं कहीं मर रहे हैं,झगड़ता हुआ हर नगर देखता हूँ, कहीं आग में जल न जाए यहाँ सब,झुलसता हुआ…
तुम पर लगे इल्जामातमुझे दे दो तुम अपने अश्कों की सौगातमुझे दे दोअश्कों में डूबी अपनी हयातमुझे दे दो जिस रोशनाई ने लिखेनसीब में आंसूखैरात में तुम वो दवातमुझे दे दो स्याही चूस बन कर चूस लूंगाहरफ सारेरसाले में लिखी…
मेरे वो कश्ती डुबाने चले है रूठे महबूब को हम मनाने चले है |अपनी मजबूरीया उनकों सुनाने चले है | जो कहते थे तुम ही तुम हो जिंदगी मेरी |बीच दरिया मेरे वो कश्ती डुबाने चले है | ख्यालो ख्याबों…
मानवता की छाती छलनी हुई विमल हास से अधर,नैन वंचित करुणा के जल से।नहीं निकलती पर पीड़ा की नदीहृदय के तल से।। सहमा-सहमा घर-आँगन है, सहमी धरती,भीत गगन है ।लगते हैं अब तो जन-जन क्यों जाने ?हमें विकल से । स्वार्थ शेष है…
कंगन की खनक समझे चूड़ी का संसार नारी की शोभा बढ़े, लगा बिंदिया माथ।कमर मटकती है कभी, लुभा रही है नाथ। कजरारी आँखें हुई, काजल जैसी रात।सपनों में आकर कहे, मुझसे मन की बात। कानों में है गूँजती, घंटी झुमकी…
धूल पर दोहे पाहन नारी हो गई,पाकर पावन धूलप्रभु श्रीराम करे कृपा,काँटे लगते फूल महिमा न्यारी धूल की,केंवट करे गुहारप्रभु पग धोने दीजिए,तभी चलूँ उस पार मातृभूमि की धूल भी,होता मलय समानबड़भागी वह नर सखी,त्यागे भू पर प्रान आँगन में…
बस तेरा ही नाम पिता उपर से गरम अंदर से नरम,ये वातानुकूलित इंसान है!पिता जिसे कहते है मित्रो,वह परिवार की शान है!! अच्छी,बुरी सभी बातो का,वो आभास कराते है!हार कभी ना मानो तुम तो,हर पल हमै बताते…