Category हिंदी कविता

ऋतुराज का आगमन

ऋतुराज का आगमन ऋतुराज बसंत लेकर आयेवसंत पंचमी, शिवरात्रि और होलीआ रही पेड़ों के झुरमुट सेकोयल की वो मीठी  बोली । बौरों से लद रहे आम वृक्षहै बिखर रही महुआ की गंधनव कोपल से सज रहे वृक्षचल रही वसंती पवन…

सुंदर पावन धरा भारती

सुंदर पावन धरा भारती सुंदर पावन धरा भारती ।आओ उतारें हम आरती ••२ नवचेतना के द्वार खोल अबसुनें कविता सृजन की आवाजखत्म हो हैवानियत की इन्तहांइंसानियत का ही हो आगाजसुंदर पावन धरा भारती ।आओ उतारें हम आरती ••२ नतमस्तक हो…

जब याद तुम्हारी आती है

जब याद तुम्हारी आती है जब याद तुम्हारी आती हैमन आकुल व्याकुल हो जाता हैतुम चांद की शीतल छाया होतुम प्रेम की तपती काया हो। तुम आये भर गये उजालेसफल हुए सपने जो पालेद्वार हंसे, आंगन मुसकायेभाग्य हो गये मधु…

नयनों की भाषा

नयनों की भाषा तुमने चाहा थामैं  कुछ सीखूँकुछ  समझूँकुछ  सोचूँपर  जब मैंनेकुछ   सीखाकुछ  समझाकुछ  सोचातब  तक बहुत देरहो चुकी थी,मेरे जीवन केअनेक फासलेतय हो चुके थेजिन्दगी नये राह पर थी । आजजब तुम अचानकमेरे सामने आईमुझे देखकरधीरे से मुस्कायेथोडी सकुचाईथोडी…

दौलत की भूख

दौलत की भूख आया कैसा नया ज़मानादौलत आज सभी को पानायह एक ऐसी भूख हैरिश्तों की बेल जाती सूखकिसी की परवाह न करे इंसान झूठ बोलने में माहिर हुआकुत्सित काम है बात आमलालच ने यूं अंधा कियाभ्रष्टाचार  अंदर तक पनपासारे…

सोच सोच के सोचो

सोच सोच के सोचो नारी ना होती,श्रृंगार करता कौन?हुस्न की बात चले तो,तेरा नाम लेता कौन? नख-शिख चित्रण ,उभारता कौन?गर ना श्रृंगार होता,कविताएँ लिखता कौन?कवि की लेखनी क्या होती मोन?श्रृंगार देख बिन पिये, नशा चढ़ाता कौन? पल-पल क्षण-क्षण,प्रिय मिलन की…

सच्ची मुहब्बत पर गजल

सच्ची मुहब्बत पर गजल भला इस दौर में सच्ची मुहब्बत कौन करता हैबिना मतलब जहाँ भर में इबादत कौन करता हैहसीं रंगीन दुनिया के नजारे छोड़ कर पीछेमुहब्बत के सफीनों की जियारत कौन करता हैयह खुदगर्ज़ी भरी दुनिया यहाँ कोई…

अंतर्द्वंद्व बड़ा अलबेला

अंतर्द्वंद्व बड़ा अलबेला द्वंद्वभरी जीवन की राहें,भटक रहे तुम मन अलबेले!संतोषी मग  पकड़ बावरे,इस जीवन के बड़े झमेले!! तृप्त हुआ तू नहीं आज तक,मनमर्जी रथ को दौड़ाया!चौराहे पर फिरा भटकता,ज्यों कुंजर वन में बौराया!दृग ऊपर माया का पर्दा,देखे सपने सदा…

रूह की बस्ती में बसा लिया

रूह की बस्ती में बसा लिया     हम तुझे  छोड़  भी नहीं पाये, अलविदा  कहकरदिल में तुम ही तुम हो, ख्वाबों-ख़यालों में रहकरइब्तिसाम  तेरी  क़यामत, रह गयी  इन आँखों  मेंभूलना   तो   चाहा   बहुत,   बेवफा   है   कहकरहम तुझे छोड़ भी…

मिलते हैं हमसफर

मिलते हैं हमसफर कैसा भी सफर होसाथ से कट जातासुविधा से  व्यक्तिमंजिल तक पहुँचता । अब सफर स्कूल तकसफर खेल मैदान कापनघट तक का होया फिर मंदिर मस्जिदया उत्सव त्यौहार कासब हम सफर रहतेसुख दुख साझा सहते। जीवन के सफर…