Category हिंदी कविता

गौरी पुत्र गणेश – सुकमोती चौहान

गौरी पुत्र गणेश आओ हे गौरी पुत्र गणेश!हरने हम सब के क्लेश। अग्र पूजन के अधिकारी,ज्ञान विद्या के भंडारी,मंगल मूर्ति अतुल बलधारी,पधारो हे गजानन!भरने जीवन में आनंद।आओ हे गौरी पुत्र गणेश!हरने हम सबके क्लेश | शिव शक्ति के तुम दुलारे,देवगणों…

बचपन पर कविता

जन्म से लेकर किशोरावस्था तक के आयु काल को कहते है। विकासात्मक मनोविज्ञान में, बचपन को शैशवावस्था (चलना सीखना), प्रारंभिक बचपन (खेलने की उम्र), मध्य बचपन (स्कूली उम्र), तथा किशोरावस्था (वयः संधि) के विकासात्मक चरणों में विभाजित किया गया है। इसी…

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प्रात: वन्दन – हरीश बिष्ठ शतदल

प्रात: वन्दन करे अमंगल को मंगल, पवनपुत्र हनुमान |सम्मुख उनके आने से , डरें सभी शैतान || हृदय बसे सिया-राम जी, श्रद्धा-भक्ति अपार |शिवजी के बजरंगबली , जग में रूद्र अवतार || संकट सारे भक्तों के , पल में देते…

वीर जवानों तुझे सलाम – बाबूराम सिंह

वीर जवानों तुझे सलाम आन – बान और शान देश की नही रुकने देते।वन्दे मातरम गान तिरंगा झंडा़ नहीं झुकने देते ।देश हित में फूलते-फरते करते सदा देशका नाम।देशकी खातीर जीते मरते वीर जवानों तुझेसलाम। बुरे नियत वालों को नाकों…

गुरु ज्ञान का सागर -रुपेश कुमार

गुरु ज्ञान का सागर जीवन की सबसे पहले गुरु ,माता पिता होते है ,जीवन में गुरु का नाम ,सबसे ऊंचा होता है ,गुरु जीवन में मेरे ,साइकिल के पहिए जैसा होते है ,गुरु ज्ञान का सागर ,गुरु महासागर होते है…

स्वच्छता अभियान चाहिए

स्वच्छता अभियान चाहिए दया-धर्म करुणामय पावनअधरोंपर मुस्कान चाहिए।अनमोल मानव जीवनमें स्वच्छता अभियान चाहिए। परमार्थ परहित पुरुषार्थ क्षमा शीलता दान चाहिए।स्वच्छता से नेक कमाई भोजन वस्त्र मकान चाहिए। देशधर्म सत्कर्म सुपावन प्रगतिपथ कल्यान चाहिए।नेकी भलाई पुण्य में भी स्वच्छता अभियान चाहिए।…

दीपक सा जलता गुरू

दीपक सा जलता गुरू दीपक सा जलता गुरू,सबके हित जग जान।गुरू से हीं पाते सभी, सरस विद्या गुण ज्ञान।। जग में गुरु सिरमौर है,तम गम हरे गुमान।भर आलोक जन-मन सदा ,देते है मुस्कान।। निर्झर सा निर्मल गुरू ,मन का होता…

सनातन धर्म पर कविता

सनातन धर्म पर कविता देश को देखकर आगे बढ़े सनातनधर्म हिन्दी भारतवर्ष महानके लिये।देश को देखकर आगे बढ़े उत्थान के लिये। स्वदेश की रक्षा में जन-जन रहे तत्पर।सदभाव विश्वबंधुत्व का हो भाव परस्पर।काम क्रोध मोह लोभ मिटे दम्भ व मत्सर।रहे…

गणेश- मनहरण घनाक्षरी

गणेश- मनहरण घनाक्षरी ब्रह्म सृष्टिकार दैव,भूमि रचि हेतु जैव,मातृभूमि भार पूर्ण,धारे नाग शेष है। शीश काटे पुत्र का वे,क्रोध मिटे हुआ ज्ञान,हस्ति शीश रोपे शिव,दैवीय निवेश हैं। पार्वती सनेह जान,दिए शम्भु वरदान,पूज्य गेह गेह नेह,देवता गणेश हैं। विष्णु शम्भु देव…

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मच्छर पर कविता /पद्म मुख पंडा

मच्छर पर कविता/ पद्म मुख पंडा ये मच्छर भी? न दिन देखते, न रात,ये आवारा मच्छर,करते हैं, आघात मुंह से,जहरीले तरल पदार्थ,मानव शरीर के अंदर,डालकर, चंपत हो जाते हैं!होती है खुजली,होकर परेशान , आदमी लेता है संज्ञान,मॉस्किटो क्वाइल जलाकर,आश्वस्त हो…