Category हिंदी कविता

रोटी पर कविता- विनोद सिल्ला

रोटी पर कविता- विनोद सिल्ला रोटी तू भी गजब है, कर दे काला चाम।देश छोड़ के हैं गए, छूटे आँगन धाम।। रोटी तूने कर दिए, घर से बेघर लोग।रोटी ही ईलाज है, रोटी ही है रोग।। रोटी तेरे ही लिए,…

कारगिल के शहीदों को नमन करते हुए कविता

कारगिल के शहीदों को नमन करते हुए कविता वतन के हिफाजत के लिए त्याग दिये अपने प्राण। तुमनें आह तक नहीं किये त्यागते समय अपने प्राण।। सीने में गोली खा के हो गये देश के लिए शहीद। मुख में था…

विश्वास के पुल – सन्त राम सलाम

विश्वास के पुल उफनती नदी में उमड़ता सैलाब, पुलिया के नीचे पानी गहरा है।बीच मझधार में फँसा है जीवन, विश्वास के पुलिया पर ठहरा है।। जीवन मृत्यु दो छोर जीवन के, जहाँ पर पाँच तत्वों का पहरा है।सजग हवा सोते…

खुद से वादा – सुशी सक्सेना

खुद से वादा साहिब, खुद से भी एक वादा करना है।मंजिल तक पहुंचने का इरादा करना है।नित नए संघर्ष होंगे, जीवन के पथ पर,मगर सवार हो कर, उत्साह के रथ पर।कांटों भरा हो या फूलों भरा, जारी ये सफ़र रखना,कदम…

शीतल छाया दे रहे – विनोद सिल्ला

शीतल छाया दे रहे शीतल छाया दे रहे, परउपकारी पेड़। हरे पेड़ को काट कर, कुदरत को ना छेड़।। पेड़ दे रहे औषधी, ले के रहो निरोग।पेड़ लगाने चाहिए, काट रहे हैं लोग।। पालन पोषण कर रहे, देकर के फल…

कहाँ गई कागज की कश्ती – प्यारेलाल साहू

कहाँ गई कागज की कश्ती – प्यारेलाल साहू कहाँ गई कागज की कश्ती।कहाँ गई बचपन की मस्ती।। बचपन कितना था मस्ताना।कभी रूठना और मनाना।। साथ साथ खेला करते थे।आपस में फिर हम लड़ते थे।। साथ साथ पढ़ने जाते थे।बाँट बाँट…

निवेदन करें हम महादेव प्यारे – उपमेंद्र सक्सेना

निवेदन करें हम महादेव प्यारे – उपमेंद्र सक्सेना गीत- उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट बने आप भोले जहर पी लिया सब, लगें आप हमको सब से ही न्यारेनिवेदन करें हम महादेव प्यारे, न डूबें कभी भी हमारे सितारे। बजे हर तरफ आपका…

स्वास्थ्य पर सजगता – विनोद सिल्ला

स्वास्थ्य पर सजगता सेहत सुविधा कम हुई, बढ़े बहुत से रोग| दाम दवाओं के बढ़े, तड़प रहे हैं लोग|| अस्पताल के द्वार पर, बड़ी लगी है भीड़|रोग परीक्षण हो रहे, सब की अपनी पीड़|| ऊंचे भवन बना लिए, पैसा किया…

चुगली रस – विनोद सिल्ला

चुगली रस मीठा चुगली रस लगे, सुनते देकर ध्यान। छूट बात जाए नहीं, फैला लेते कान।। चुगलखोर सबसे बुरा, कर दे आटोपाट।नारद से आगे निकल, सबकी करता काट।। चुगली सबको मोहती, नर हो चाहे नार।चुगली के फल तीन हैं, फूट…

पावस पर कविता – नीरामणी श्रीवास नियति

पावस पर कविता पावस ऋतु अब आ गई , घिरी घटा घनघोर ।चमचम चमके दामिनी , बादल करते शोर ।।बादल करते शोर , भरे नदिया अरु नाला ।चले कृषक खलिहान , लगा कर घर में ताला ।नियति कहे कर जोड़…