इंदौर की कवयित्री सुशी सक्सेना की कविताएं
यहाँ पर इंदौर की कवयित्री सुशी सक्सेना की कविताएं आपके समक्ष प्रस्तुत किये किये जा रहे हैं ये इश्क ये इश्क का ही तो असर है,कि नजर भी जुबां बन जाती है।आपकी तारीफ में कुछ कहूं,तो ग़ज़ल बन जाती है।…
यहाँ पर इंदौर की कवयित्री सुशी सक्सेना की कविताएं आपके समक्ष प्रस्तुत किये किये जा रहे हैं ये इश्क ये इश्क का ही तो असर है,कि नजर भी जुबां बन जाती है।आपकी तारीफ में कुछ कहूं,तो ग़ज़ल बन जाती है।…
चारु चंद्र की चंचल किरणें / मैथिलीशरण गुप्त चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से,मानों झीम[1] रहे हैं तरु भी, मन्द…
परिवर्तन / सुमित्रानंदन पंत (१)अहे निष्ठुर परिवर्तन!तुम्हारा ही तांडव नर्तनविश्व का करुण विवर्तन!तुम्हारा ही नयनोन्मीलन,निखिल उत्थान, पतन!अहे वासुकि सहस्र फन!लक्ष्य अलक्षित चरण तुम्हारे चिन्ह निरंतरछोड़ रहे हैं जग के विक्षत वक्षस्थल पर !शत-शत फेनोच्छ्वासित,स्फीत फुतकार भयंकरघुमा रहे हैं घनाकार जगती का…
दीप से दीप जले / माखनलाल चतुर्वेदी सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलेंकर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें। लक्ष्मी खेतों फली अटल वीराने मेंलक्ष्मी बँट-बँट बढ़ती आने-जाने मेंलक्ष्मी का आगमन अँधेरी रातों मेंलक्ष्मी श्रम के साथ घात-प्रतिघातों मेंलक्ष्मी…
एक बेटी की करूणा जो अपने जन्म पर अपराधी सा महसूस करती अपनी मां को धैर्य बंधाती है
हमारी पाठशाला लोकेश कुमार भोई, सहायक शिक्षक, प्राथमिक शाला छिर्राबाहरा की पहली रचना है जिसे उन्होंने अपने स्कूल को समर्पित किया है.
प्रस्तुत हिंदी कविता का शीर्षक "बाल भिक्षुक" है जोकि आशीष कुमार मोहनिया, कैमुर, बिहार की रचना है. इसे वर्तमान समाज में दीन हीन अनाथ बच्चों की दयनीय स्थिति को ध्यान में रखकर लिखा गया है जिनका जीवन बसर आज भी मंदिर की सीढ़ियों पर या फिर हाट बाजार में भीख मांग कर होता है.
जीवन में आशावादी होना ही जीवन का परिचायक है ।
यह सपने सुकुमार कविता |महादेवी वर्मा यह सपने सुकुमार तुम्हारी स्मित से उजले!कर मेरे सजल दृगों की मधुर कहानी,इनका हर कण हुआ अमर करुणा वरदानी,उडे़ तृणों की बात तारकों से कहने यहचुन प्रभात के गीत, साँझ के रंग सलज ले!…
संघर्ष द्वारा ही पहचान होती है।