Category हिंदी कविता
मोहब्बत की कविता-कोई मेरी ओर नहीं है
मोहब्बत के रास्ते में इम्तिहानो का सिलसिला दर्शाती ये कविता

प्रकृति से खिलवाड़/बिगड़ता संतुलन-अशोक शर्मा
भौतिकता की होड़ में मानव ने प्रकृति के साथ बहुत छेड़छाड़ की है। अपने विकास की मद में खोया मानव पर्यावरण संतुलन को भूल गया है। इस प्रकार के कृत्यों से ही आज कोरोना जैसी महामारी से मानव जीवन के अस्तित्व खतरे में दिख रहा है।
धरती को सरसा जाओ
प्रकति पर सुंदर चित्रण किया गया है।
श्री नेल्सन मंडेला जी का गुणगान
श्री नेल्सन मंडेला जी का गुणगान अश्वेत प्रथा को कर नष्ट जग में मचा दिया हल-चल,मंडेला जी को गोरों ने कर दिया देश से बेदखल।बदला समय बदले लोग पर न बदले नेल्सन मंडेला,अश्वेतों के हक के लिए जेल में रह…
वह खून कहो किस मतलब का
वह खून कहो किस मतलब का वह खून कहो किस मतलब काजिसमें उबाल का नाम नहीं।वह खून कहो किस मतलब काआ सके देश के काम नहीं।वह खून कहो किस मतलब काजिसमें जीवन, न रवानी है!जो परवश होकर बहता है,वह खून…
सुभाषचंद्र बोस पर कविता
सुभाषचंद्र बोस पर कविता है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं।है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं ।। अक्सर दुनिया के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं।लेकिन कुछ ऐसे होते हैं,…
पेपर बैग का उपयोग – अकिल खान
पेपर बैग का उपयोग – अकिल खान प्लास्टिक के उपयोग से संसार में प्रदूषण फैला है, घर – बर्तन – पोशाक है प्लास्टिक का और सबके हाथों में प्लास्टिक का थैला है। इससे उत्पन्न होते गंभीर समस्या फिर भी प्लास्टिक…
मृत्युभोज पर कविता
मृत्युभोज पर कविता मृत्युभोज(16,14)जीवन भर अपनो के हित में,मित हर दिन चित रोग करे।कष्ट सहे,दुख भोगे,पीड़ा ,हानि लाभ,के योग करे,जरा,जरापन सार नहीं,अबबाद मृत्यु के भोज करे। बालपने में मात पिता प्रिय,निर्भर थे प्यारे लगते।युवा अवस्था आए तब तक,बिना पंख उड़ते…
श्रम श्वेद- बाबूलाल शर्मा (ताटंक छंद)
ताटंक छंद ~विधान :- १६, १४ मात्राभारदो दो चरण ~ समतुकांत,चार चरण का ~ छंदतुकांत में गुरु गुरु गुरु,२२२ हो। श्रम श्वेद- बाबूलाल शर्मा (ताटंक छंद) बने नींव की ईंट श्रमी जो,गिरा श्वेद मीनारों में।स्वप्न अश्रु मिलकर गारे में।चुने गये…