हिंदी संग्रह कविता-वह जीवन भी क्या जीवन है
वह जीवन भी क्या जीवन है वह जीवन भी क्या जीवन है, जो काम देश के आ न सका।वह चन्दन भी क्या चन्दन है, जो अपना वन महका न सका। जिसकी धरती पर जन्म लिया, जिसके समीर से श्वास चलीजिसके…
वह जीवन भी क्या जीवन है वह जीवन भी क्या जीवन है, जो काम देश के आ न सका।वह चन्दन भी क्या चन्दन है, जो अपना वन महका न सका। जिसकी धरती पर जन्म लिया, जिसके समीर से श्वास चलीजिसके…
हमारे प्यारे हिन्दुस्तान हमारे प्यारे हिन्दुस्थान, हमारे भारतवर्ष महान ॥जननी तू जन्मभूमि है, तू जीवन तू प्राण ।तू सर्वस्व शूरवीरों का, जगती का अभिमान ॥ हमारे प्यारे उष्ण रक्त अगणित अरियों का, बार-बार कर पान।चमकी है कितने युद्धों में, तेरी…
हम सब भारतवासी हैं हम पंजाबी, हम गुजराती, बंगाली, मद्रासी हैं,लेकिन हम इन सबसे पहले केवल भारतवासी हैं।हम सब भारतवासी हैं। हमें प्यार आपस में करना पुरखों ने सिखलाया है,हमें देश-हित, जीना-मरना, पुरखों ने सिखलाया है!हम उनके बतलाये पथ पर,…
हम करें राष्ट्र-आराधन हम करें राष्ट्र-आराधन, तन से, मन से, धन से।तन, मन, धन, जीवन से, हम करें राष्ट्र-आराधन॥ अंतर से, मुख से, कृति से, निश्चल हो निर्मल मति से।श्रद्धा से, मस्तक -नत से, हम करें राष्ट्र-अभिवादन ।। अपने हँसते…
सुना रहा हूँ तुम्हें भैरवी सुना रहा हूँ तुम्हें भैरवी जागो मेरे सोने वाले!जब सारी दुनिया सोती थी तब तुमने ही उसे जगायादिव्य गान के दीप जलाकर तुमने ही तम दूर भगाया,तुम्हीं सो रहे, दुनिया जगती यह कैसा मद है…
वही देश है मेरा वही देश है मेरा,वही देश है मेरा। द-ऋचाओं में गूंजा है,जिसका अम्बर नीला।जहाँ राम घनश्याम कर गए,युग-युग अद्भुत लीला।जहाँ बांसुरी बजी ज्ञान की, जागा स्वर्ण सवेरा।वही देश है मेरा.. जहां बुद्ध ने सत्य-अहिंसाका था अलख जगाया।गुरु…
राष्ट्र की जय राष्ट्र की जय चेतना का, गान वन्दे मातरम्राष्ट्र भक्ति प्रेरणा का, गान वन्दे मातरम् । बंसी के बजते स्वरों का, प्राण वन्दे मातरम्झल्लरी झंकार झनके, नाद वन्दे मातरम् ।शंख के संघोष का, संदेश वन्दे मातरम्। राष्ट्र भक्ति.…
जय जय भारत जय जय भारत, जन-मन अभिमतजन-गण-तन्त्र विधाता। गौरव-भाल-हिमाचल उज्ज्वलहृदय-हार गंगा-जल,कटि विन्ध्याचल, सिन्धु चरण-तलमहिमा शाश्वत गाता। हरे खेत, लहरें नद-निर्झरजीवन-शोभा उर्वर,विश्व कर्मरत कोटि बाहु-करअगणित पद ध्रुव पथ पर। प्रथम सभ्यता-ज्ञाता, साम-ध्वनित गुण-गाथा,जय नव-मानवता-निर्मातासत्य-अहिंसा-दाता।जय हे! जय हे ! जय हे!…
जन्मभूमि पर कविता जहाँ जन्म देता हमें है विधाताउसी ठौर में चित्त है मोद पाता। जहाँ हैं हमारे पिता-बंधु-माता,उसी भूमि से है हमें सत्य नाता। जहाँ की मिली वायु है जन्मदानी,जहाँ का बिंधा देह में अन्न-पानी। भरी जीभ में है…
कोटि-कोटि कंठों ने गाया कोटि-कोटि कंठों ने गाया, माँ का गौरव गान है,एक रहे हैं एक रहेंगे, भारत की संतान हैं। पंथ विविध चिंतन नाना विधि बहुविधि कला प्रदेश की,अलग वेष भाषा विशेष है, सुन्दरता इस देश की।इनको बाँट-बाँटकर देखें,…