चमचा गिरि नही करूंगा
जो लिखुंगा सत्य लिखुंगा
चमचा गिरी नही करूंगा।
कवि हूं कविता लिखुंगा
राजनेता से नहीं बिकुंगा।।
चापलुसी चमचा गिरी तो
किसी कवि का धर्म नहीं।
अत्याचार मै नहीं सहूंगा।
जो लिखुंगा सत्य लिखुंगा ।
राज नेता से नहीं बिकुंगा ।
कवि हूं मैं, कविता लिखुंगा।।
कवि धर्म कभी कहता नहीं
अतिशयोक्ति काब्य लिखुंगा।
जो सच्चाई है वहीं लिखुंगा।
राजनेता से नहीं बिकुंगा।।
चमचा गिरी नही करूंगा
चाहे भले ही मर मिटुंगा।
कवि हूं कविता लिखुंगा।
राजनेता से नहीं बिकुंगा।।
मैं भारत मां का पुत सपुत
एक सनातनी कट्टर हिन्दू हूं।
देश द्रोही सनातन विरोधी से
जीवन पर्यन्त नहीं झुकुंगा।।
चाहे प्राण भले जायें मेरा
पर चमचा गिरि नही करूंगा।
श्रीराम कृष्ण का अनुयायी है एक सनातनी कट्टर हिन्दू हूं।।
वेद पुराण का पढ़ने वाला
सत्य दया प्रेम क्षमा सिंद्धू हूं
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अमोदी आरंग ज़िला रायपुर
छत्तीसगढ़