छत्तीसगढ़ पर कविता – पंकज

छत्तीसगढ़ महिमा – पंकज

छत्तीसगाढ़ी रचना
छत्तीसगाढ़ी रचना

छत्तीसगढ़  महतारी मोर छत्तीसगढ़  महतारी।
तोर  कोरा म  रहिथे दाई  दाता अउ भिखारी।
उत्तर म  सरगुजा  हावे स्वर्ग  समान  कहाथे।
दक्षिण म केशकाल के घाटी सबके मन ल मोहाथे।
पश्चिम  म  मैकल  पर्वत  हे बैगा  मन के डेरा।
अउ पूरब  म अब्बड़ ऊँचा  जशपुर क्षेत्र पठारी।
छत्तीसगढ़  महतारी


महानदी ल गंगा कहिथे सबके प्यास बुझाथे।
डोंगरगढ़ बमलाई म चढ़ के मन हर्षित हो जाथे।
राजिम के महिमा बड़ भारी प्रयाग राज कहाथे।
रतनपुर  महामाया  गौरव गाथे सब नर नारी।
छत्तीसगढ़ महतारी
                       
ये  भुइँया  म दबे  पड़े  कोयला लोहा के खान।
मनखे  मन  के बोली  म हे  भरे  कटोरा धान।
कोरबा के बिजली ले जगमग होंगे हिंदुस्तान।
नरवा मन के जाल बिछे हे होथे आठो माह निस्तारी।
छत्तीसगढ़ महतारी
   
               ‘पंकज’

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