दीया पर कविता
आओ मिलकर दीप जलाएं,
सब दुखों को दूर भगाएं।
अंधकार हमें मिटाना है,
दीपक सभी को जलाना है।
उम्मीद का दीया जलाना है,
रोशन होगा चारों दिशा।
दिल से अंधकार मिटाना है,
प्रकाश पर्व हमें मनाना है,
गरीब अंधकार मे जी रहे,
उन्हें भी अब रोशन करना है।
कितने घर निराश से घिरे,
उन्हें भी प्रकाश फैलाना है।
दिल में प्रकाश जगाना है,
सबको दीप जलाना है।
हम सबको मिलकर आज,
दीपक हमे जलाना है।
संसार में आये विपदा को,
हमको मिलकर दूर भगाना है।
दीपक की इस रोशनी से,
संसार आज जगमगायेगा।
मन में जो अशांति होगा,
दीपक से दूर हो जायेगा।
एक दीपक हमे जलाना है,
पृथ्वी को रोशन करना है।
एक-एक दीप जलाकर हमे,
धरती को रोशन करना है।
दीप जलाओं अंधकार भगाओ,
आज संकल्प हम सब लेते है।
*परमानंद निषाद निठोरा,छत्तीसगढ़*