फागुन माह पर दोहा -मदन सिंह शेखावत
फागुन मास सुहावना, उड़ती रंग गुलाल।
खेले अपनी मौज मे,कुछ भी नही मलाल।।1
फागुन आयो हे सखी, पिया बसे परदेश।
कुछ भी अच्छा ना लगे,आये नही स्वदेश।।2
फागुन के हुडदंग मे, बाजे डोल मृदंग।
नाचे सब मद मस्त हो,मिल गई बहु उमंग।।3
होली के त्यौहार मे , झूमे सब इटलाय।
करते सभी धमाल अति,मन मे मौज मनाय।।4
मौज शौक मे मन रही, होली फागुन मास।
नही किसी से बैर है,हिल मिल रहते पास।।5
मदन सिंह शेखावत ढोढसर स्वरचित